फेयरप्ले प्वाइंट की बदौलत जापान वर्ल्डकप के नॉकआउट दौर में पहुंच गया
खेल की दुनिया में फेयरप्ले प्वाइंट का कितना महत्व हो सकता है, क्या आपने कभी सोचा है... लोगों को लगता है कि यह केवल टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए होते हैं, मगर यह पूरी तरह सच नहीं है... यह खेल का अहम हिस्सा हैं, और खासकर किसी भी टीम ईवेंट में... इंडियन प्रीमियर लीग, यानी IPL के दौरान भी क्रिकेट मैच के बीच में देखा जाता है कि किस टीम को कितने फेयरप्ले प्वाइंट मिले हैं, लेकिन तब इनका महत्व समझ नहीं आता था...
अब FIFA विश्वकप 2018 के दौरान साफ लगा कि फेयरप्ले प्वाइंट कितने मायने रखते हैं, क्योंकि इन्हीं फेयरप्ले प्वाइंट की बदौलत जापान वर्ल्डकप के नॉकआउट दौर में पहुंच गया, और सेनेगल बाहर हो गया... दरअसल, जापान और पोलैंड का मैच था, और इस आखिरी लीग मैच में जापान को महज़ ड्रॉ करना था... पोलैंड लगातार दो मैच हार चुका था, लेकिन जापान को उसने 1 गोल से हरा दिया... अब इस मैच के बाद ग्रुप में जापान और सेनेगल के तीन-तीन मैचों में चार-चार अंक हो गए... दोनों ही देशों ने एक-एक मैच जीता, एक-एक मैच ड्रॉ किया और एक-एक मैच हारे... जापान और सेनेगल के बीच गोल डिफरेंस भी बराबर था, सो, ऐसे में फैसला किया जाना था कि कौन-सी टीम आगे बढ़ेगी... इस वक्त फेयरप्ले प्वाइंट की ज़रूरत महसूस की गई, और उन्हें इस्तेमाल में लाया गया... फुटबॉल वर्ल्डकप के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी टीम को अगले राउंड में भेजने के लिए फेयरप्ले प्वाइंट का सहारा लिया गया हो...
आखिरकार जापान को अगले राउंड में भेजे जाने का फैसला किया गया, क्योंकि सेनेगल ने अपने तीन मैचों में जापान की तुलना में अधिक फाउल किए थे... सेनेगल ने छह बार फाउल कर विपक्षी खिलाड़ियों को मैदान पर गिराया था, और इसी कारण सेनेगल को छह बार पीला या येलो कार्ड दिखाया गया था, यानी उसके खिलाफ छह प्वाइंट थे, जबकि जापान ने केवल चार बार फाउल किया था, यानी चार बार येलो कार्ड का सामना किया था, और उनके खिलाफ चार प्वाइंट थे... सो, फीफा ने जापान को अगले राउंड में जाने का मौका दिया...
दरअसल, फेयरप्ले प्वाइंट के नियम कुछ इस तरह हैं... पहली बार येलो कार्ड दिखाए जाने पर 1 प्वाइंट, उसी खिलाड़ी को दूसरी बार येलो कार्ड दिखाए जाने पर 3 प्वाइंट दिए जाते हैं... यदि किसी खिलाड़ी को पहली बार में ही रेड कार्ड दिखा दिया जाए, तो उसके 4 प्वाइंट होते हैं, और यदि किसी खिलाड़ी को एक बार येलो कार्ड दिखाए जाने के बाद उसी को रेड कार्ड भी दिखाया जाए, तो 5 प्वाइंट दिए जाते हैं... लेकिन याद रखने लायक बात यह है कि ये सभी प्वाइंट माइनस में हैं, यानी जितने फेयरप्ले प्वाइंट कम होंगे, टीम के लिए उतना ही बेहतर होगा... इसका अर्थ है कि आपने कम फाउल किए हैं, और अपने विरोधी टीमों के साथ खेलभावना का बेहतर प्रदर्शन किया है...
अक्सर देखा जाता है कि फुटबॉल, हॉकी जैसे खेलों में, जहां खिलाड़ी एक-दूसरे के सामने होते हैं और बॉल को छीनना ही उनका लक्ष्य होता है, तो वह एक दूसरे से टकरा ही जाते हैं या फाउल हो जाता है... कई फाउल जान-बूझकर भी किए जाते हैं, लेकिन खिलाड़ी उस वक्त यह भूल जाते हैं कि इसका खामियाज़ा उनकी पूरी टीम को भुगतना पड़ सकता है... जैसे इस बार सेनेगल की टीम को भुगतना पड़ा और जापान आगे निकल गया...
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...
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