
हिमाचल प्रदेश की धर्मशाला विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार विजय इंद्र कर्ण की जमानत जब्त हो गयी और वह कुल मतों का छठा हिस्सा भी हासिल नहीं कर पाये. कर्ण को कुल वैध 52,485 मतों में से सिर्फ 8,212 मत मिले. उन्हें कुल वैध मतों का छठा हिस्सा यानी 16.67 प्रतिशत से कम 15.64 प्रतिशत मत मिले. इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा उम्मीदवार विशाल नेहरिया और बागी उम्मीदवार राकेश कुमार के बीच था जिन्होंने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था. नेहरिया ने कुमार को 6,758 मतों के अंतर से हराया. चुनाव में कुल सात उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे.
कर्ण समेत अन्य सभी पांच उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी. हारने वाले अन्य चार उम्मीदवार जिनकी जमानत जब्त हुई, उनमें परवेश शर्मा (2,345 मत), मनोहर लाल धीमान (887 मत), निशा कटोच (435 मत) और सुभाष चंद शुक्ला (368 मत) शामिल हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार करीब 3,000 मतों के अंतर से हारे थे. धर्मशाला में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के किशन कपूर का कांग्रेस के सुधीर शर्मा पर जीत का अंतर 2,997 मत था.
धर्मशाला से मौजूदा विधायक किशन कपूर के मई में हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर, सांसद बन जाने के कारण इस सीट पर उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी. कांगड़ा के उपाचुक्त सह जिला निर्वाचन अधिकारी राकेश प्रजापति ने पीटीआई-भाषा को बताया कि सामान्य वर्ग से आने वाले किसी भी आम उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिये 10,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होती है जिसे चुनाव में कुल वैध मतों का 1/6छठा हिस्सा मत हासिल करने के बाद उम्मीदवार को लौटा दिया जाता है.
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34 (1ए) के तहत सामान्य वर्ग से आने से उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिये 10,000 रुपये की जमानत राशि जमा करना अनिवार्य होता है. उन्होंने बताया कि अगर उम्मीदवार सीट पर कुल वैध मतों का छठा हिस्सा हासिल नहीं कर पाता तो उम्मीदवार द्वारा जमा की गयी राशि को चुनाव आयोग जब्त कर लेता है.
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