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This Article is From Nov 14, 2013

दिल्ली चुनावों में जाति बन सकती है निर्णायक मुद्दा

दिल्ली चुनावों में जाति बन सकती है निर्णायक मुद्दा
नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी (आप) के लिए 'जनता समर्थक' और 'भ्रष्टाचार विरोधी' नारों के जरिये दिल्ली में मतदाताओं को लुभाना आसान नहीं होगा, जहां मतदान करने से पहले वे जाति और पार्टी के प्रति निष्ठा रखते हैं।

बाहरी और ग्रामीण दिल्ली के करीब 20 निर्वाचन क्षेत्रों में जाति निर्णायक फैक्टर हो सकता है, क्योंकि इन इलाकों के बाशिंदे अन्य चीजों से प्रभावित होने की बजाय अपने समुदाय के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हैं। दिल्ली के 364 गांवों में से करीब 225 गांवों में जाट समुदाय का दबदबा है, जबकि 70 गांव में गुर्जरों का बोलबाला है। 35 गांवों में यादवों की संख्या भी अच्छी खासी है।

महरौली, मुंडका, रिठाला, नांगलोई, मटियाला, नजफगढ़ और बिजवासन सहित कम से कम आठ निर्वाचन क्षेत्रों में जाट समुदाय का वोट निर्णायक होगा। कुल वोटरों में समुदाय की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि गुर्जरों की संख्या सात प्रतिशत है। अनुसूचित जाति समुदाय 17 प्रतिशत और 12 प्रतिशत मुस्लिम हैं। वोटरों में कुल नौ प्रतिशत पंजाबी हैं। सिख समुदाय की हिस्सेदारी 4 प्रतिशत है, जबकि वैश्य समुदाय की हिस्सेदारी 8 प्रतिशत है।

बदरपुर, तुगलकाबाद, संगम विहार, गोंडा, गोकुलपुरी, करावल नगर और ओखला में गुर्जर समुदाय का वोट काफी मायने रखेगा। पूर्वी दिल्ली की झुग्गियों से लेकर लुटियन के बंगलो क्षेत्र तक जाति एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है और भाजपा तथा कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि इन दोनों दलों ने अपने अधिकतर उम्मीदवार जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मैदान में उतारे हैं।

दिल्ली के कई अर्धशहरी गांवों में से एक, दक्षिण दिल्ली में कस्तूरबा नगर निर्वाचन क्षेत्र (एसी नंबर 42) के तहत गुर्जर बहुल वार्ड कोटला मुबारकपुर में दूसरी समस्याओं के साथ ही पानी जमा होने, ड्रेनेज और मलबा निपटान की समस्या व्याप्त है, इसके बावजूद मतदान के समय जाति का फैक्टर भारी पड़ सकता है।

कोटला मुबारकपुर में रह रहे कारोबारी राजकुमार कहते हैं, आम चुनावों में वोट करते समय हर कोई काम जरूर देखता है, लेकिन विधानसभा और निगम चुनावों के दौरान और चीजों के साथ जाति भी देखते हैं और परिवार तथा दोस्तों की तरफ से भी अपनी जाति वाले को वोट देने के लिए दबाव रहता है। जाति के साथ ही पार्टी के प्रति निष्ठा भी उम्मीदवारों के चुनाव में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हो सकता है, क्योंकि 'आप' को कांग्रेस अथवा भाजपा के प्रति निष्ठावान वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करना होगा।

'आप' भ्रष्टाचार मुक्त सरकार, बिजली दर 50 प्रतिशत कम करने और हर परिवार को रोजाना 700 लीटर पानी मुहैया कराने के वादों के साथ चुनाव लड़ रही है। कोटला मुबारकपुर में कपड़े की दुकान चलाने वाले कारोबारी रमेश चंद्र कांग्रेस को वोट देते रहे हैं। उन्होंने कहा, मैं कांग्रेस का समर्थक हूं और पार्टी के प्रति निष्ठावान हूं।

मुंडका के निवासी जगजीत सिंह ने कहा, हम 'आप' के एजेंडे का समर्थन करते हैं, लेकिन, मुझे नहीं लगता कि वह सरकार बना पाएगी, इसलिए, मैं 'आप' को वोट नहीं दूंगा। भाजपा की अगुवाई वाले दक्षिण दिल्ली नगर निगम की मेयर सरिता चौधरी ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस केवल वादे करना जानती है। चौधरी ने कहा, इस चुनाव में महंगाई, भ्रष्टाचार और अनाधिकृत कॉलोनियां प्रमुख मुद्दे हैं। अपने 'घर घर भाजपा' अभियान के जरिये नेता और पार्टी कार्यकर्ता लोगों से घर-घर जाकर संपर्क कर रहे हैं।

दीक्षित की अगुवाई वाली सरकार को बैकफुट पर लाने के लिए भाजपा ड्रेनेज और पानी जमाव जैसी समस्याओं को भी उठा रही है। उन्होंने कहा, वर्तमान सरकार का इस संबंध में कोई ठोस योजना नहीं है। जैसे ही हम सत्ता में आएंगे लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए नए ड्रेनेज सिस्टम के लिए एमसीडी, डीडीए और पीडब्ल्यूडी को साथ लेकर एक संयुक्त कमेटी बनाएंगे। शहर में कुल 1,14,88,752 मतदाता हैं, जिसमें से 63,68,694 पुरुष और 51,19,517 महिला हैं। कुल मतदाताओं में युवा मतदाताओं की भागीदारी 3.04 प्रतिशत है।

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