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This Article is From Dec 06, 2017

इस कुष्‍ठ रोगी को पेंशन देने से प्रशासन का इनकार, आधार कार्ड बनवाने के लिए नहीं हैं अंगुलियां

एक महिला को सिर्फ इसलिए पेंशन देने से मना कर दिया गया क्‍योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं था. हर महीने मिलने वाली एक हजार रुपये की पेंशन ही उस महिला के जीने का सहारा थी.

इस कुष्‍ठ रोगी को पेंशन देने से प्रशासन का इनकार, आधार कार्ड बनवाने के लिए नहीं हैं अंगुलियां
नई द‍िल्‍ली: आधार कार्ड को लेकर रोज-रोज नए नियम कानून बन रहे हैं. अब लगभग हर चीज के लिए आधार कार्ड जरूरी कर दिया गया है. सरकार बार-बार दावा कर रही है कि आधार कार्ड के इस्‍तेमाल से आम आदमी के लिए जिंदगी जीना आसान हो जाएगा. लेकिन हाल ही के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिन्‍होंने सरकार के दावों की पोल खोल दी है. ऐसा ही एक मामला बेंगलुरु में सामने आया है, जहां एक महिला को सिर्फ इसलिए पेंशन देने से मना कर दिया गया क्‍योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं था. हर महीने मिलने वाली एक हजार रुपये की पेंशन ही उस महिला के जीने का सहारा थी. 

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द न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस की ख़बर के मुताब‍िक महिला का नाम साजिदा है और वह कुष्‍ठ रोगी है. बीमारी के चलते वह अपनी अंगुलियां और आंखों की रोशनी खो चुकी है. साजिदा के लिए जिंदगी वैसे ही इतनी मुश्‍किल थी ऊपर से बेंगलुरु के स्‍थानीय प्रशासन ने अगस्‍त में उन्‍हें एक ऐसा पत्र भेजा जिससे उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. पत्र में लिखा था कि अगर उन्‍होंने अपनी पेंशन से आधार नंबर लिंक नहीं करवाया तो उन्‍हें पेंशन मिलनी बंद हो जाएगी. 

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अब उन्‍हें पेंशन मिले भी तो कैसे क्‍योंकि उनकी अंगुलियां नहीं हैं. आधार कार्ड बनाने के लिए अंगुलियों को स्‍कैन कराना जरूरी होता है. कुष्‍ठ रोग‍ियों के लिए बने अस्‍पताल के डॉक्‍टर अयूब अली के मुताबिक, 'वह (साजिदा) उन पैसों से अपने लिए कपड़े और जरूरी सामान खरीदती थी. लेकिन अगस्‍त से उसे पेंशन नहीं मिली है. उसे दोनों आंखों से बिलकुल भी नहीं दिखाई देता है. न ही उसकी अंगुलियां हैं और न ही पंजे. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उसकी बायेमिट्रिक पहचान कैसे हो पाएगी.' 

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साजिदा से जब उनके परिवार वालों के बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने रोते हुए कहा, 'मुझे नहीं पता कि मेरी बेटी और दामाद कहां हैं. मुझसे मिलने कोई नहीं आता. मुझे मेरा पैसा दे दो.' 

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साफ है कि साजिदा जैसे ऐसे बहुत से लोग होंगे जो आधार कार्ड न मिल पाने की वजह से छोटी-छोटी जरूरतों को भी नहीं पूरा कर पा रहे हैं. सरकार ऐसे नियम बनाए जिनसे फायदा हो न कि पहले से ही परेशान आम आदमी का जीना और मुहाल हो जाए.

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