प्राकृतिक आपदाओं का आकलन हमेशा उससे होने वाले नुकसान से नहीं करना चाहिए, नुकसान की खबरें अगर सामान्य नजर आईं तो हम ध्यान देना बंद कर देते हैं. पश्चिम बंगाल में जैसे ही हम पता चला कि मरने वालों की संख्या सिर्फ 90 है उत्सुकता और जिज्ञासा समाप्त हो गई. तूफान के आने से पहले की जो परिस्थितियां रहीं, जिन कारणों से स्थिति बनी उस पर चर्चा बंद हो गई. अम्फान से जो नुकसान हुआ उसकी तरफ देखना बंद कर दिया गया. लेकिन अब देखिए 15 दिनों के फासले पर 3 जून को निसर्ग गुजरता है. दोनों ही तूफानों के आने से पहले समुद्र का तापमान 30 से 33 डिग्री सेल्सियस था. क्या चक्रवात जलवायु परिवर्तन के कारण आ रहे हैं या हमारी नीतियों के कारण ? हम बात नहीं करते क्योंकि पता चल जाता है कि नुकसान कम हुआ है. जितना बताया गया था उतना नहीं हुआ.