इस वक्त कश्मीर के अलावा सारा ध्यान कहीं होना चाहिए तो वह असम है. लाखों की संख्या में लोग वहां बाहरी और देशी होने की आशंका में जी रहे हैं. ख़ुद को साबित करने के काग़ज़ात में अपने को और अपने वतन को ढूंढ रहे हैं. शायद ही दुनिया में इस तरह का काम कहीं हुआ हो लेकिन वहां ज़मीन से कितनी कम रिपोर्ट हैं. कितनी कम चर्चा है. 31 अगस्त को नेशनल रजिस्टर फ़ॉर सिटीज़ंस यानी NRC की फ़ाइनल लिस्ट आ जाएगी. एक एक पल आशंकाओं में बीत रहा है. ऐसे में किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनज़र पूरे राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. केंद्र सरकार की ओर से अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त टीमें भेजी गई हैं. गुवाहाटी के कुछ इलाक़ों समेत कई संवेदनशील इलाक़ों में धारा 144 लगा दी गई है. पुलिस सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों से अफ़वाहों से बचने की अपील कर रही है. इस बीच कई लोगों को नोटिस भेज कर बताया गया है कि सत्यापन के अंतिम दौर के बाद NRC की लिस्ट में उनके नाम नहीं हैं. ऐसे लोगों से डेडलाइन से पहले अधिकारियों से मिलकर अपनी नागरिकता के दावे सही साबित करने को कहा गया है. ऐसे बहुत परिवार हैं जिन्होंने कई दशक असम में गुज़ारे, यहीं अपनों को खोया. इनमें कई वो लोग भी हैं जो असम आंदोलन की हिंसा में मारे गए, शहीद कहे गए लेकिन इनके परिवारों के कई सदस्य नागरिकता रजिस्टर में अपना नाम शामिल नहीं करा पाए जिससे इनका भविष्य अनिश्चित लग रहा है.