असम एक बार फिर बाढ़ की चपेट में है. 27 लाख से ज्यादा लोग इस बाढ़ से प्रभावित हैं. यहां हर साल बाढ़ आती है और चली जाती है. असम की बाढ़ के बारे में हम इतना ही जानते हैं कि बाढ़ आई थी और चली गई. जैसे बाढ़ आकर चली जाती है वैसे ही एक शिकायत भी आकर चली जाती है कि नेशनल मीडिया के लिए असम की बाढ़ बाढ़ नहीं है. दरअसल नेशनल मीडिया के यूपी-बिहार की बाढ़ भी बाढ़ नहीं है. 2008 में कोसी नदी में आई बाढ़ के कवरेज को देखेंगे तो आपको इसका अंदाजा हो जाएगा. जिस असम में नागरिकता संशोधन कानून को देशभर में बहस हुई उस असम की बाढ़ की चर्चा नहीं हो रही है. दरअसल असम में बाढ़ की कहानी और नागरिकता संशोधन कानून की राजनीति की कहानी एक जैसी है.