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Gujarat Amalsad Chiku: जीआई टैग पाने वाले गुजरात के अमलसाड़ चीकू में क्या है खास?
- Monday April 28, 2025
- Reported by: IANS, Edited by: प्रिया गुप्ता
GI Tag: गुजरात के अमलसाड़ी चीकू को जीआई टैग मिला है. अब इस टैग से स्थानीय किसानों को आर्थिक लाभ और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने की उम्मीद है. जीआई टैग किसी भी उत्पाद को वो मुकाम देता है जो उसकी खूबी से जुड़ा होता है.
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ndtv.in
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देखते-देखते कैसे सुपरफूड बन गया मखाना, देश में कहां कहां होती है खेती
- Tuesday February 25, 2025
- Written by: राजेश कुमार आर्य
कभी आम उत्पाद माने जाने वाला मखाना के लावा देखते ही देखते सुपरफूड बन गया है. आज हालत यह है कि मखाने की कीमत काजू से दो गुनी अधिक हो चुकी है. मखाने में संभावना को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने बिहार में मखाना बोर्ड के गठन का ऐलान किया है.
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पाकिस्तान में स्थानीय उत्पाद के रूप में पंजीकृत नहीं है बासमती, फिर भी भारतीय दावे को दी चुनौती
- Wednesday December 30, 2020
- Reported by: भाषा
एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. कानून के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में किसी उत्पाद का पंजीकरण कराने से पहले उसे उस देश के भौगोलिक संकेतक (जीआई) कानूनों के तहत संरक्षित किया जाना चाहिए. समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने बताया कि पाकिस्तान में इस साल मार्च में लागू हुए भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 2020 में ऐसा कोई नियम नहीं हैं और बासमती अभी तक पाकिस्तान में एक संरक्षित उत्पाद नहीं है.
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Gujarat Amalsad Chiku: जीआई टैग पाने वाले गुजरात के अमलसाड़ चीकू में क्या है खास?
- Monday April 28, 2025
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GI Tag: गुजरात के अमलसाड़ी चीकू को जीआई टैग मिला है. अब इस टैग से स्थानीय किसानों को आर्थिक लाभ और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने की उम्मीद है. जीआई टैग किसी भी उत्पाद को वो मुकाम देता है जो उसकी खूबी से जुड़ा होता है.
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देखते-देखते कैसे सुपरफूड बन गया मखाना, देश में कहां कहां होती है खेती
- Tuesday February 25, 2025
- Written by: राजेश कुमार आर्य
कभी आम उत्पाद माने जाने वाला मखाना के लावा देखते ही देखते सुपरफूड बन गया है. आज हालत यह है कि मखाने की कीमत काजू से दो गुनी अधिक हो चुकी है. मखाने में संभावना को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने बिहार में मखाना बोर्ड के गठन का ऐलान किया है.
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पाकिस्तान में स्थानीय उत्पाद के रूप में पंजीकृत नहीं है बासमती, फिर भी भारतीय दावे को दी चुनौती
- Wednesday December 30, 2020
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एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. कानून के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में किसी उत्पाद का पंजीकरण कराने से पहले उसे उस देश के भौगोलिक संकेतक (जीआई) कानूनों के तहत संरक्षित किया जाना चाहिए. समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने बताया कि पाकिस्तान में इस साल मार्च में लागू हुए भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 2020 में ऐसा कोई नियम नहीं हैं और बासमती अभी तक पाकिस्तान में एक संरक्षित उत्पाद नहीं है.
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