Environment Performance Index
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Environment Performance Index 2022: भारत ने 'आखिरी स्थान' किया खारिज, पाकिस्तान, बांग्लादेश का भी है पहले नाम
- Wednesday June 8, 2022
- Edited by: वर्तिका
पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक- (EPI 2022) में पहले स्थान पर डेनमार्क, दूसरे स्थान पर ब्रिटेन. और तीसरे पर फिनलैंड और चौथे पर माल्टा हैं. इसमें क्लाइमेट चेंज, बायोडाइवर्सिटी, फिशरीज, हवा की गुणवत्ता, कचरा प्रबंधन और स्वच्छ पानी, जलसंसाधन और कृषि जैसे पैमानों पर नंबर दिए गए हैं.
- ndtv.in
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'अवैज्ञानिक तरीके': भारत ने पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक-2022 को किया खारिज
- Wednesday June 8, 2022
- Reported by: भाषा
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''हाल ही में जारी पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) 2022 में कई सूचक निराधार मान्यताओं पर आधारित हैं. प्रदर्शन का आकलन करने के लिए उपयोग किए गए कुछ सूचक अनुमानों व अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं.''
- ndtv.in
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पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक : 180 देशों में सबसे निचले पायदान पर भारत
- Tuesday June 7, 2022
- Edited by: चंदन वत्स
ईपीआई अनुमानों से संकेत मिलता है कि अगर मौजूदा रुझान कायम रहते हैं तो सिर्फ चार देश चीन, भारत, अमेरिका और रूस 2050 में अवशिष्ट वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 50 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा होंगे.
- ndtv.in
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Environment Performance Index 2022: भारत ने 'आखिरी स्थान' किया खारिज, पाकिस्तान, बांग्लादेश का भी है पहले नाम
- Wednesday June 8, 2022
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पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक- (EPI 2022) में पहले स्थान पर डेनमार्क, दूसरे स्थान पर ब्रिटेन. और तीसरे पर फिनलैंड और चौथे पर माल्टा हैं. इसमें क्लाइमेट चेंज, बायोडाइवर्सिटी, फिशरीज, हवा की गुणवत्ता, कचरा प्रबंधन और स्वच्छ पानी, जलसंसाधन और कृषि जैसे पैमानों पर नंबर दिए गए हैं.
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'अवैज्ञानिक तरीके': भारत ने पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक-2022 को किया खारिज
- Wednesday June 8, 2022
- Reported by: भाषा
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''हाल ही में जारी पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) 2022 में कई सूचक निराधार मान्यताओं पर आधारित हैं. प्रदर्शन का आकलन करने के लिए उपयोग किए गए कुछ सूचक अनुमानों व अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं.''
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पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक : 180 देशों में सबसे निचले पायदान पर भारत
- Tuesday June 7, 2022
- Edited by: चंदन वत्स
ईपीआई अनुमानों से संकेत मिलता है कि अगर मौजूदा रुझान कायम रहते हैं तो सिर्फ चार देश चीन, भारत, अमेरिका और रूस 2050 में अवशिष्ट वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 50 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा होंगे.
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