Blogs | मनीष शर्मा |गुरुवार सितम्बर 22, 2022 10:38 PM IST राजू श्रीवास्तव अपने आप में प्रोडक्ट रहे और ऐसा उत्पाद कई सालों की तपस्या से तैयार होता है. उनके साथ खासा समय गुज़ारने वाले एक साथी बताते हैं कि कैसे राजू ज़मीनी थे और छोटे शहरों की घटनाओं का बारीकी से आकलन करने के लिए कुंभ के मेले या बाकी जगहों पर चेहरा छिपाकर कई-कई घंटे घूमते रहा करते थे.