Blogs | प्रियदर्शन |बुधवार जनवरी 16, 2019 03:20 PM IST यह देखना दिलचस्प है कि जो लोग अब तक सामाजिक आधार पर आरक्षण को प्रतिभा के विलोम की तरह देखते रहे और इसे भारतीय व्यवस्था का नासूर मानते रहे, वे अपील कर रहे हैं कि गरीबों के हक की ख़ातिर यह आर्थिक आरक्षण मान लिया जाए - बिना यह बताए कि हर महीने 65,000 रुपये कमाने वाले लोग किस कसौटी से गरीब कहलाएंगे.