Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार जुलाई 22, 2016 12:13 PM IST स्त्री-विरोधी भाषा संसार में हमारी स्त्रियां भी फंसी हैं, जैसे सामंतवादी जातिवादी ढांचे में हमारे दलित भी फंसे हैं। स्मृति ईरानी, मायावती, स्वाति और हम सब। कांग्रेस, बीजेपी, बीएसपी, सपा और आरजेडी सब। इस ढांचे से रोज़ तोड़कर थोड़ा-थोड़ा बाहर आना पड़ता है। हमारा गुस्सा हमें क्षण भर में हमारे भीतर बैठे सामंतवाद की छत पर ले आता है और हम वही करने लगते हैं, जिसके खिलाफ हमें गुस्सा आता है।