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पिता थे संगीत के महारथी, मुगल दरबार से था खास नाता, बेटे ने विलेन बनकर किया बॉलीवुड पर राज, बड़े-बड़े सुपरस्टार से लिया पंगा  

भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के जाने-माने अभिनेता शाहबाज खान को तो आपने कई फिल्मों और टीवी शो में देखा होगा.

पिता थे संगीत के महारथी, मुगल दरबार से था खास नाता, बेटे ने विलेन बनकर किया बॉलीवुड पर राज, बड़े-बड़े सुपरस्टार से लिया पंगा  
पिता थे संगीत के महारथी
नई दिल्ली:

भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के जाने-माने अभिनेता शाहबाज खान को तो आपने कई फिल्मों और टीवी शो में देखा होगा. फिल्मों में उनकी छवि एक विलेन की है और उन्होंने हिंदी, पंजाबी और साउथ सिनेमा में विलेन के रोल ही किए हैं. वह पद्म भूषण उस्ताद अमीर खान के बेटे हैं, जो हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की जानी-मानी हस्तियों में से एक और इंदौर घराने के फाउंडर हैं. इंदौर में जन्मे शाहबाज ने कैम्पटी के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट और नागपुर के हिस्लोप कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की थी.

शाहबाज खान का फिल्मी करियर

फिल्मी दुनिया में कदम रखने से पहले, एक्टर ने नागपुर के सेंटर पॉइंट होटल में काम किया, लेकिन आखिर में अपने सपने को पूरा करने के लिए मुंबई चले गए. अपने अब तक फिल्मी करियर में शाहबाज ने 150 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है, जिनमें जिद्दी, बादल, अर्जुन पंडित, द हीरो और एजेंट विनोद जैसी हिट फिल्में शामिल हैं. साल 2018 में आई चीनी फिल्म डाइंग टू सर्वाइव में अपने रोल के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी पहचान मिली थी. शाहबाज अपने टीवी करियर के जरिए घर-घर में मशहूर हुए, जिसकी शुरुआत उन्होंने पॉपुलर शो द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान से की और बाद में चंद्रकांता, बेताल पचीसी और द ग्रेट मराठा जैसे शोज में दमदार और यादगार अभिनय किया.

संगीत के महारथी हैं एक्टर के पिता
एक्टर के पिता उस्ताद अमीर खान हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अग्रदूत माने जाते हैं और  इस कला के प्रति उनका नजरिया बहुत प्रभावशाली था. पंजाब के कलानौर में संगीतकारों के एक परिवार में जन्मे अमीर खान अपने पिता शाहमीर खान, जो सारंगी और वीणा वादक थे और अपने दादा, चंगे खान, जो बहादुर शाह जफर के दरबार में गायक थे, से बहुत प्रभावित थे. अमीर खान ने एक ऐसी शैली विकसित की, जिसमें गायन शैली ध्रुपद की भव्यता और ख्याल की मधुरता का मिक्सअप था, जिससे एक ऐसा मिश्रण बना जो बौद्धिक और गहन भावनात्मक दोनों था. वे तरानों में अपनी महारत और शास्त्रीय परंपरा के प्रति निष्ठा रखते हुए संगीत की नई-नई खोज के लिए जाने जाते थे. उनका संगीत एक कालातीत विरासत है, जो संगीतकारों और सुनने वाले दोनों को प्रेरित करता रहा है.

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