Batti Gul Meter Chalu Movie Review: श्रद्धा कपूर और शाहिद कपूर
नई दिल्ली:
फिल्म 'बत्ती गुल मीटर चालू' की कहानी गढ़वाल उत्तराखंड की है, जहां तीन दोस्त, एसके यानी सुशिल कुमार, नौटी यानी ललिता और त्रिपाठी यानि सुन्दर त्रिपाठी रहते हैं. तीनों बहुत ही घने मित्र हैं. एसके चालाक है जो वकालत कर चुका है और वकालत की आड़ में ब्लैकमेलिंग करके पैसे कमाता है. नौटी फैशन डिजाइनर है और त्रिपाठी एक फैक्ट्री खोलता है. कई शिकायतों के बावजूद फैक्ट्री की इलेक्ट्रिक का बिल 54 लाख रुपए का आ जाता है और तब आती है फिल्म अपने असल मुद्दे पर, जिसके लिए 'बत्ती गुल मीटर चालू' बनी है. फिल्म में एसके बने हैं शाहिद कपूर, नौटी के रोल में हैं श्रद्धा कपूर और त्रिपाठी की भूमिका दिव्येंदु शर्मा ने निभाई है.
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फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू का विषय बेहद ख़ास है जिसमें कहा जा रहा है कि बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियां कई बार बहुत गलत बिल भेजती हैं और उपभोक्ताओं को बहुत ज़्यादा पैसे भरने पड़ते हैं. बिजली कंपनियों के ऐसे घोटालों से आम जनता परेशान है. छोटे शहरों में अक्सर बिजली गुल ही रहती है. फिल्म में उत्तराखंड की वादियों को सुंदरता से दर्शाया गया है. बत्ती गुल मीटर चालू का दूसरा भाग खास तौर से थोड़ा अच्छा है जिस भाग में फिल्म असल मुद्दे पर रोशनी डालती है.
देखें ट्रेलर-
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फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू का विषय तो अच्छा है मगर इसके लेखक और निर्देशक श्रीनारायण सिंह इसे परदे ठीक से नहीं उतार पाए. इसकी कहानी और पटकथा कमज़ोर है. फिल्म का पहला भाग काफी लम्बा भी है और ख़ास तौर से शाहिद कपूर की एक्टिंग लाऊड लगती है. अपने पहले भाग में फिल्म पूरी तरह से अपने मुद्दे पर भी नहीं पहुंच पाती. फिल्म की लम्बाई बहुत ज़्यादा है. ऐसा लगता है कि जबरदस्ती फिल्म को खींचने की कोशिश की जा रही है. दूसरे भाग में फिल्म अपना मुद्दा बताने की कोशिश करती है मगर अदालत के अंदर का ड्रामा दिल को नहीं छू पाता.
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मेरे हिसाब से एक अच्छे विषय पर कमजोर फिल्म बनी है 'बत्ती गुल मीटर चालू' जिसमे आप को बिजली से जुड़े कुछ संदेश तो मिलेंगे मगर उसके अलावा शायद कुछ और न मिले. इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग 2 स्टार है.
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