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वो सफर जिसने दिलीप कुमार को बनाया आइकॉन...

Updated: 07 जुलाई, 2021 11:28 AM

The Journey That Made Dilip Kumar An Icon

वो सफर जिसने दिलीप कुमार को बनाया आइकॉन...

बॉलीवुड के ग्रैंड ओल्ड मैन दिलीप कुमार का बुधवार को निधन हो गया. अपने 50 साल के लंबे करियर में 60 से अधिक फिल्मों में अभिनय में अपनी बहुमुखी प्रतिभा को कई बार साबित किया.

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देखिए दिग्गज अभिनेता के निजी और फिल्‍मी सफर पर एक नज़र.

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दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद युसूफ खान था. 1930 के दशक में परिवार मुंबई चला गया और 1940 में, यूसुफ घर छोड़कर पुणे चला गया, जहां वह कैंटीन चलाते थे, उन्हें कैंटीन में अभिनेत्री देविका रानी और उनके निर्देशक-पति हिमांशु राय, बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो के मालिक ने देखा.

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दिलीप कुमार ने 1947 की 'जुगनू' में गायिका-अभिनेत्री 'नूरजहां' के साथ काम किया.

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दिलीप साहब ने 'दाग' (1952) में अभिनेत्री निम्मी के साथ काम किया. उन्होंने अपने प्रदर्शन के लिए दिया गया पहला फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीता.

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उन्होंने 'आन' में नवोदित अभिनेत्री नादिरा के साथ काम किया. रिपोर्टों के अनुसार, 'आन' 1952 की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म थी और 15 मिलियन रुपये से अधिक की कमाई करने वाली पहली फिल्म थी.

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1955 में दिलीप कुमार की आज़ाद रिलीज़ के वर्ष में सबसे अधिक कमाई करने वाली हिंदी फ़िल्म थी, और उन्हें अपना दूसरा फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला.

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1955 में दिलीप कुमार की 'आज़ाद' वर्ष में सबसे अधिक कमाई करने वाली हिंदी फ़िल्म थी. इसके बाद उन्हें अपना दूसरा फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला.

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1955 में बिमल रॉय की क्लासिक 'देवदास' में दिलीप कुमार ने वैजयंती माला और बंगाली अभिनेत्री सुचित्रा सेन के साथ अभिनय किया. शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित, 'देवदास' एक बड़ी सफल फिल्‍म थी, जिसके बाद दिलीप साहब को उनका तीसरा फिल्मफेयर पुरस्कार मिला.

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उन्हें 'नया दौर' (1957) में वैजयंती माला के साथ फिर से देखा गया, जिसे मूल रूप 'ब्लैक एंड व्हाइट' में फिल्माया गया था. फिल्म को कलर्ड बनाया गया और 3 अगस्त 2007 को फिर से रिलीज़ किया गया.

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दिलीप कुमार को अगली बार बिमल रॉय की 'मधुमती' (1958) में देखा गया, जो पुनर्जन्म पर आधारित थी. उनकी सबसे व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों में से एक, 'मधुमती' ने शाहरुख खान की 'ओम शांति ओम' के लिए प्रेरणा प्रदान की.

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अब तक, दिलीप कुमार को ट्रेजडी किंग के रूप में जाना जाता था. अपने मनोचिकित्सक की सलाह पर, उन्होंने हल्की भूमिकाओं की ओर रुख किया, जिसमें मीना कुमारी के साथ 'कोहिनूर' (1960) शामिल थी.

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राजकुमार सलीम के रूप में उनका अभिनय आज भी याद किया जाता है. 'मुगल-ए-आज़म' में मधुबाला के साथ उन्‍हें काफी पसंद किया गया.

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1966 में, दिलीप कुमार ने एमिली ब्रोंटे के क्लासिक उपन्यास, 'वुथरिंग हाइट्स' के हिंदी रूपांतरण, 'दिल दिया दर्द लिया' के साथ निर्देशन में हाथ आजमाया. फिल्म का सह-निर्देशन ए आर कारदार ने किया था. फिल्म में दिलीप कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी, जिसमें वहीदा रहमान, प्राण, रहमान, श्यामा और जॉनी वॉकर भी थे.

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दिलीप कुमार की पहली डबल रोल वाली फिल्‍म 'राम और श्याम' (1967) थी. फिल्म ने बॉलीवुड में कई रीमेक को प्रेरित किया जैसे कि 'सीता और गीता' में हेमा मालिनी (1972), 'चालबाज़' (श्रीदेवी अभिनीत) 1989 में और 'किशन कन्हैया' (अनिल कपूर अभिनीत) 1990 में.

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उन्होंने 1976 से 1981 तक एक ब्रेक लिया और 'क्रांति' में एक स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका निभाते हुए वापसी की.

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1982 में, दो बॉलीवुड दिग्गज एक साथ अपनी पहली फिल्म में दिखाई दिए. रमेश सिप्पी की 'शक्ति' ने दिलीप कुमार को ईमानदार पुलिस वाले के रूप में और अमिताभ बच्चन को उनके अलग बेटे के रूप में कास्ट किया. फिल्म ने दिलीप साहब को उनका आठवां और आखिरी फिल्मफेयर पुरस्कार दिलाया.

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1991 में, दिलीप कुमार ने अनुभवी अभिनेता राज कुमार के साथ काम किया. 'सौदागर' को सुभाष घई द्वारा निर्देशित किया गया था. इस फिल्‍म से अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी.

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1998 में, दिलीप साहब अपनी आखिरी फिल्म, 'किला' में रेखा के साथ दिखाई दिए.

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दिलीप कुमार ने 1966 में अभिनेत्री सायरा बानो से शादी की, जब वह 44 वर्ष की थीं और वह 22 वर्ष की थीं. उन्होंने 'गोपी', 'सगीना' और 'बैराग' जैसी फिल्मों में सह-अभिनय किया है.

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दिलीप कुमार को 1991 में पद्म भूषण, 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और 1998 में निशान-ए-पाकिस्तान (पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) से सम्मानित किया गया था. उन्हें 1993 में फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला. उन्होंने 1980 में मुंबई के शेरिफ का मानद पद भी संभाला.

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अप्रैल 2013 में, दिलीप साहब और साथी सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान भारतीय सिनेमा के 100 साल पूरे करने के लिए फिल्मफेयर पत्रिका के कवर पर एक साथ दिखाई दिए.

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