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माइनस 55 डिग्री की जमा देने वाली हवा, 2 साल के बराबर एक साल… और कितना विचित्र है मंगल ग्रह, जानें

पृथ्‍वी से बाहर जीवन की संभावनाओं की बात आती है, तो वैज्ञानिकों का भरोसा मंगल ग्रह (Mars) पर नजर आता है। मंगल पर मिशन भेजने वाले देशों में सबसे आगे है अमेरिका। उसके तमाम मिशनों में से एक मिशन के तहत पर्सवेरेंस (Perseverance) रोवर फरवरी 2021 में मंगल ग्रह पर उतरा था। इस रोवर ने ग्रह के वातावरण को लेकर कुछ अहम जांच की हैं। इसमें क्‍या पता चला है, आइए जानते हैं।

  • पृथ्‍वी से बाहर जीवन की संभावनाओं की बात आती है, तो वैज्ञानिकों का भरोसा मंगल ग्रह (Mars) पर नजर आता है। वर्षों से दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां मंगल ग्रह पर अपने मिशन भेज रही हैं। भारत, चीन, यूरोपियन यूनियन और अमेरिका इसमें शामिल हैं। मंगल पर मिशन भेजने वाले देशों में सबसे आगे है अमेरिका। उसके तमाम मिशनों में से एक मिशन के तहत पर्सवेरेंस (Perseverance) रोवर फरवरी 2021 में मंगल ग्रह पर उतरा था। इस रोवर ने ग्रह के वातावरण को लेकर कुछ अहम जांच की हैं। इसमें क्‍या पता चला है, आइए जानते हैं।
  • पर्सवेरेंस रोवर की जांच 1 मंगल वर्ष तक चली। यह पृथ्‍वी पर दो साल के बराबर है। इस स्‍टडी को मैड्रिड में सेंटर फॉर एस्ट्रोबायोलॉजी (CAB) के जोस एंटोनियो रोड्रिग्ज-मैनफ्रेडी ने लीड किया। टीम ने मंगल के वायुमंडल पर मौसमी और दैनिक चक्रों का अध्ययन किया, जिसमें तापमान और प्रेशर शामिल हैं। शोध के परिणामों से जुड़ा एक पेपर नेचर जियोसाइंस में पब्लिश हुआ है।
  • 18 फरवरी 2021 को पर्सवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर पर लैंड किया था। माना जाता है कि अरबों साल पहले इस जगह पर एक झील हुआ करती थी, जो अब सूख गई है। इनोवेशनन्‍यूजनेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार, यह रोवर 7 तरह के इक्विपमेंट से लैस है। इन उपकरणों में से एक मार्स एनवायरनमेंटल डायनेमिक्स एनालाइजर (MEDA) की मदद से पर्सवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह के वातारवण के बारे में कुछ दिलचस्‍प जानकारियां जुटाई हैं।
  • पता चला है कि मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा के पास स्थित जेजेरो क्रेटर रीजन में औसत हवा का तापमान लगभग -55 डिग्री सेल्सियस है। हालांकि दिन के वक्‍त तापमान बढ़ जाता है और रात के समय यह बहत नीचे चला जाता है। दिन में मौसम के गर्म होने से मंगल ग्रह पर हवा भी अशांत हो जाती है।
  • यह भी पता चला है कि मंगल ग्रह के वायुमंडल में सबसे ज्‍यादा धूल के तूफान जेजेरो रीजन में आते हैं। कई बार ये तूफान 100 मीटर से ज्‍यादा व्यास वाले बवंडर में भी बदल जाते हैं। हाल में नासा को बड़ी कामयाबी मिली थी, जब उसने मंगल ग्रह पर आने वाले तूफानों का साउंड पहली बार रिकॉर्ड किया। (तस्‍वीरें नासा और unsplash) कुछ तस्‍वीरें काल्‍पनिक हो सकती हैं।
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