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पीतल की मूर्तियों से लाख की चूड़ियों तक ! GIS में बिखरेगी MP की संस्कृति और हस्तकला

GIS में आने वाले निवेशक और मेहमान यहां के कारोबार के साथ-साथ मध्य प्रदेश की समृद्ध संस्कृति और परंपरा से भी रूबरू हो रहे हैं. इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय में लोक नृत्य, पारंपरिक कला और हस्तशिल्प की अनूठी झलक पेश की जा रही है, जो प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बना रही है.

  • मध्य प्रदेश में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट-2025 का आगाज हो चुका है. GIS में आने वाले निवेशकों और मेहमानों को प्रदेश की कला और संस्कृति से परिचित कराया जा रहा है.
  • यहां मौजूद कलाकार नृत्य और कला के माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाएंगे. ये आयोजन इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय में हो रहा है.
  • ये सभी प्रस्तुतियां समिट का खास आकर्षण हैं. जिसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशी मेहमानों के आने जाने का सिलसिला भी जारी है.
  • यहां प्रदेश के पारंपरिक और लोक नृत्य जैसे भगोरिया, काठी डांस, मटकी नृत्य, करमा जनजातीय नृत्य और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जा रही हैं.
  • भगोरिया डांस की बात की जाए तो ये प्रदेश के भील जनजाति का एक लोक नृत्य है. जो आदिवासी लोकसंस्कृति का एक प्रमुख पर्व है.
  • यह त्योहार, होली से पहले 7 दिनों के लिए मनाया जाता है. जिसमें पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल, मांदल, बांसुरी, थाली बजाते हुए लोक नृत्य किया जाता है.
  • इसके अलावा टीकमगढ़ से पीतल की मूर्तियां व कलाएं भी हैं. कलाकार ने बताया कि टीकमगढ़ में बनी पीतल की मूर्तियां और सजावट का सामान देश और दुनियां में मशहूर है.
  • यहां बनीं मूर्तियों की डिमांड देश भर में लगने वाले राष्ट्रीय क्राफ्ट बाजार में होती है. जिले के कारीगर हर महानगरों में जाकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं.
  • GIS में बुधनी में तैयार हुए लकड़ी के खिलौने भी है. यहां आए कलाकार ने बताया कि सीहोर के बुधनी में और आसपास दूधी नाम के पेड़ पाए जाते हैं, जो और कहीं नहीं होते.
  • बताते है कि काठी नृत्य की शुरुआत भोलेनाथ ने की थी. लेकिन अब यह विद्या विलुप्त होती जा रही है. चुनिंदा लोग ही काठी नृत्य को बचा रखे है.
  • इस नृत्य में कलाकार चटख रंग के वेशभूषा में नज़र आते हैं. निमाड़ में काठी नृत्य की यह विधा भगवान शंकर और माता गौरा से जुड़ी है.
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