मशहूर फोटोग्राफर रघु राय के दिल के सबसे करीब हैं उनकी खींची ये 5 तस्वीरें...
जो दुनिया को नज़र भी न आया, उसे रघु राय ने अपने कैमरे के लेंस में उतारा है। पिक्चरिंग टाइमः द ग्रेटेस्ट फोटोग्राफ्स ऑफ रघु राय' जिसे पब्लिश किया है ऐलेफ बुक कंपनी ने। ऑर्डर करने के लिए CLICK करें.
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जो दुनिया को नज़र भी न आया, उसे रघु राय ने अपने कैमरे की लेंस में उतारा है। कई तस्वीरों ने उन्हें ईनाम दिलाया, उनकी कई तस्वीरों ने दुनिया की असलियत से पहचान कराई। किताब पिक्चरिंग टाइमः द ग्रेटस्ट फोटोग्राफ्स ऑफ रघु राय' में उन्होंने अपनी पांच सबसे खास तस्वीरों का ज़िक्र किया है। देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यह तस्वीर उनके मजबूत और बहुआयामी व्यक्तित्व को ईमानदारी से उकेरती है।
इस तस्वीर के बारे में राय ने बताया,'श्रीमति गांधी को हिमालय बेहद पसंद था। शिमला में मैं उनकी तस्वीर ले रहा था। अचानक मैं रुक गया। उन्होंने पूछा 'क्या हुआ?' मैंने कहा, 'तस्वीर अच्छी नहीं बन रही.' उन्होंने पूछा, 'करना क्या है?' मैंने उन्हें पुलिया पर चढ़ने को कहा जो हिमालय के व्यू को बाधित कर रहा था। एक कुर्सी मंगाई गई, उसकी मदद से इंदिरा गांधी पुलिया पर चढ़ीं'। खास मुद्रा में उनके हाथ इस तस्वीर को और दिलचस्प बना गए।'
पिक्चरिंग टाइमः द ग्रेटेस्ट फोटोग्राफ्स ऑफ रघु राय' को पब्लिश किया है ऐलेफ बुक कंपनी ने। ऑर्डर करने के लिए CLICK करें. -
मदर टेरेसा की यह तस्वीर साल 1970 में ली गई। रघु राय ने 'द स्टेट्समैन' अखबार के लिये यह तस्वीर ली थी। रघु राय ने बताया कि इस असाइनमेंट के ज़रिये ही उनकी मुलाकात मदर टेरेसा से हुई जिसके बाद उनसे जीवनभर का नाता जुड़ गया। इसलिए राय के लिए उनकी यह तस्वीर बेहद खास है।
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1971 के युद्ध के दौरान शरणार्थी कैंप में रहने को मजबूर हज़ारों लोगों का दर्द, खाली सीवेज पाइप में रहने की उनकी मजबूरी और खाने की किल्लत से भरे दिन, ये सारी तकलीफें शायद दुनिया समझ न पाती, अगर रघु राय ने उस दास्तां को फोटो में यूं न उतारा होता। राय ने बताया, 'जब द न्यूयॉर्क टाइम्स, संडे टाइम्स, ले मोंड, ले फिगारो ने आधे पन्ने की तस्वीर छापी और न्यूज़ चैनलों ने मेरा इंटरव्यू लिया, तब जाकर लोगों को इस त्रासदी की हद का अंदाज़ा हुआ।'
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एक तरफ लाल किला और दूसरी तरफ जामा मस्जिद, ढलती शाम और घिरते बादलों के नीचे नमाज़ अदा करती लड़की की इस तस्वीर को खींचने का मौका रघु राय को घंटों पसीना बहाने के बाद जाकर मिला। इस 'थोड़ी धुधली' तस्वीर ने उन्हें एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीत भी दिलाई। राय ने कहा, '1982 में जब दिल्ली पर अपनी दूसरी किताब पर काम कर रहा था, तब फोटोग्राफी करने पुरानी दिल्ली गया। शुरुआती सितंबर की एक शाम, सूरज ढलने से पहले ढेरों तस्वीरें खींची, लेकिन संतुष्ट नहीं था मैं। अंधेरा होने लगा तो काम बंद कर दिया क्योंकि रोशनी की कमी में वैसे भी तस्वीरें लेने का कोई मतलब नहीं। जैसे ही मैं सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था, मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी और मैंने यह तस्वरीर खींची।
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यह रघु राय द्वारा ली गई पहली तस्वीर है। दिल्ली से सटे एक गांव में खेल-खेल में उन्होंने गधे के बच्चे की तस्वीर ली। लेकिन इस दौरान रोचक घटना भी घटी, जिसका ज़िक्र राय ने किताब 'पिक्चरिंग टाइम' में किया है। उन्होंने बताया कि जब वे गधे की तस्वीर ले रहे थे, उस दौरान वह भाग रहा था और वे उसका पीछा कर रहे थे। यह देख वहां खड़े बच्चे खूब हंस रहे थे। बच्चों के मनोरंजन के लिए उन्होंने खेल जारी रखा। अंत में जब गधा थककर रुक गया, तब राय ने बिलकुल करीब से यह तस्वीर ली। राय ने बताया कि उनके भाई को यह तस्वीर इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इसे द टाइम्स, लंदन भेजा और यह तस्वीर छप भी गई।