World Cancer Day 2018: मप्र में तंबाकू से हर साल 66 हजार मौतें
नई दिल्ली:
आज वर्ल्ड कैंसर दिवस है. यह दिन पूरी दुनिया में कैंसर के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. हर साल लोगों को इस बीमारी के खतरों और कारणों के बारे में बताने के बावजूद, भारत में यह तेजी से फैल रही है. खासकर मुंह का कैंसर हर साल भारत में हज़ारों जानें ले रहा है.
World Cancer Day 2018: क्या होता है कैंसर, जानें इसके लक्षण, इलाज और कारण
सर्वोच्च न्यायालय के तमाम निर्देशों के बाद भी तंबाकू उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पाया है. देश में तंबाकू उत्पादों का सेवन करने से हर साल 10 लाख लोग जान गंवा देते हैं. मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 66 हजार है.
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वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के स्टेट पैट्रन एंव कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. शाहू बताते हैं कि "तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन करवाए. जब यह स्पष्ट है कि मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामलों में तम्बाकू उत्पाद जिम्मेदार हैं, तो तंबाकू उत्पादों पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए."
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उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं. सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं.
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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.
ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.
गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.
संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है.
संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.
INPUT - IANS
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सर्वोच्च न्यायालय के तमाम निर्देशों के बाद भी तंबाकू उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पाया है. देश में तंबाकू उत्पादों का सेवन करने से हर साल 10 लाख लोग जान गंवा देते हैं. मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 66 हजार है.
कैंसर से खुद को बचाने के लिए ज़रूर खाएं ये 10 फूड
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के स्टेट पैट्रन एंव कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. शाहू बताते हैं कि "तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन करवाए. जब यह स्पष्ट है कि मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामलों में तम्बाकू उत्पाद जिम्मेदार हैं, तो तंबाकू उत्पादों पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए."
ये हैं कैंसर के वो 5 खतरनाक लक्षण जिन्हें पुरुषों को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज
उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं. सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं.
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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.
ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.
गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.
संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है.
संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.
INPUT - IANS
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