
Menstruation Tradition: भारत में कई तरह के रिवाज और परंपराएं आज भी निभाई जाती हैं. कुछ जगह ऐसी भी हैं, जहां पीरियड्स को लेकर अब भी कई तरह के मिथ हैं और लोग इसके लिए कई ऐसी चीजें भी करते हैं, जो काफी हैरान करने वाली होती हैं. भारत में एक जगह ऐसी है, जहां पीरियड्स को लेकर एक अजीब परंपरा निभाई जाती है. यहां जब लड़की को पहली बार पीरियड आते हैं तो उसकी शादी एक केले के पेड़ से करवाई जाती है. आइए जानते हैं कि लोग ऐसा क्यों करते हैं और कैसे इस परंपरा को निभाया जाता है.
असम में होती है ये शादी
असम के कुछ इलाकों में आज भी ये परंपरा निभाई जाती है. इसमें जब लड़की को पहली बार पीरियड्स आते हैं तो उसे अलग कर दिया जाता है. यानी लड़की कुछ दिन तक अपने परिवार से अलग रहती है और उस पर सूरज की रोशनी भी नहीं पड़ने देते हैं. इसके बाद उसकी शादी एक केले के पेड़ से कराई जाती है. ये शादी काफी धूमधाम से होती है. इस शादी को तोलिनी ब्याह कहा जाता है. असम के बोगांइगांव जिले के सोलमारी में ये परंपरा आज भी जारी है.
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खूब होता है गाना बजाना
आम शादियों की तरह पेड़ से होने वाली इस शादी में भी लोग जश्न मनाते हैं और खूब गाना बजाना भी होता है. इस जश्न में लड़की का पूरा परिवार भी शामिल होता है. बताया जाता है कि इस दौरान लड़की को खाने में सिर्फ फल दिए जाते हैं. शादी के बाद लड़की पहले की तरह आम जिंदगी जीने लगती है.
कब होती है असली शादी?
पीरियड्स आने पर होने वाली इस शादी को लड़की की पहली शादी माना जाता है. हालांकि जब लड़की बड़ी हो जाती है और शादी की उम्र होने लगती है तो उसके लिए लड़का ढूंढा जाता है, जिससे उसकी शादी कराई जाती है. यानी ये सिर्फ कई सालों से चली आ रही एक परंपरा है, जिसे आज भी निभाया जाता है.
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