नई दिल्ली:
भारतीय शादियां अपने तड़क-भड़क, स्वादिष्ट जायके, जीवंत रंग और फ़िज़ूलखर्ची के लिए जानी जाती हैं. जहां एक ओर एक ही छत के नीचे हमें ये सब देखने को मिलता है वहीं दूसरी ओर ये अपने आप में बेहद खास और अलग होती हैं. जिनकी रौनक देखते ही बनती है. हर भारतीय शादी का अपना एक अलग अनुभव होता है, हर अनुभव एक उपहार की तरह नजर आता है. आइए आपको बताते हैं भारतीय शादी से जुड़ी कुछ ऐसी मान्यताएं जो आपको हैरान कर देंगी.
1. आलू और टमाटर के साथ स्वागत
उत्तर प्रदेश का एक छोटा-सा समुदाय सरसौल का मानना है कि जिन रिश्तों की शुरुआत एक बुरे नोट पर होती है, उनका अंत बेहद अच्छा होता है. जहां आमतौर पर दुल्हे का स्वागत आरती और फूलों के साथ किया जाता है वहीं इनकी इस लोकप्रिय मान्यता के अनुसार बारात और दुल्हे का स्वागत आलू और टमाटर के साथ किया जाता है.
2. पेड़ से शादी
ज्योतिष, कुंडली और सितारे हमेशा से ही हिंदू विवाहों पर बड़ा प्रभाव डालते आए हैं. इतना ही नहीं ये बहुत सारी असामान्य शादी की रस्मों को भी जन्म देते हैं. ऐसा माना जाता है कि मंगल और शनि के एक निश्चित ज्योतिषीय संयोजन के तहत पैदा होने वाली महिला ‘मांगलिक’ कहलाती है. किसी मांगलिक कन्या का विवाह अगर नॉन-मांगलिक पुरुष से हो जाता है तो ऐसे में पति की मौत होने की आशंका होती है. ऐसे में लड़के से शादी करने से पहले लड़की की पेड़ से शादी कराई जाती है, जिससे पेड़ को लड़की का पहला पति माना जाता है.
3. मिट्टी के बर्तन बैलेंस करना
बिहार के कुछ समुदायों में यह प्रथा बहुत लोकप्रिय है. इसमें बड़ों से आशीर्वाद मांगते समय दुल्हन को अपने सिर पर मिट्टी के पॉट को बैलेंस करना होता है. यह इस बात का प्रतीक है कि दुल्हन नए घर में परिवार और अपनी जिम्मेदारियों को कितनी अच्छी तरह से निभाती है.
4. मछली बहाना
मणिपुर में एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, किसी भी नए शुरूआत से पहले हमें अपने अंदर से बुरी चीजों को हटाना होता है. इस नियम के अनुसार लड़का और लड़की को तालाब में एक साथ ताकी मछली को बहाना होता है.
5. दुल्हन को छिपाकर रखना
यह एक बहुत ही दुर्लभ परंपरा है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी भाग के कुछ आदिवासी समुदायों द्वारा अपनाई गई है. इसमें दुल्हन को शादी के बाद एक साल के लिए किसी के साथ बातचीत करने की इजाजत नहीं होती.
तमिल ब्राह्मण शादीशुदा जीवन के बारे में पूर्व-आवश्यक ज्ञान के साथ दूल्हे को प्रबुद्ध करने में विश्वास करते हैं. इसमें वेदी से पहले दूल्हा संन्यासी बनता है. फिर दुल्हे का ससुर उससे ग्रहस्थ जीवन बिताने को आग्रह करता है.
1. आलू और टमाटर के साथ स्वागत
उत्तर प्रदेश का एक छोटा-सा समुदाय सरसौल का मानना है कि जिन रिश्तों की शुरुआत एक बुरे नोट पर होती है, उनका अंत बेहद अच्छा होता है. जहां आमतौर पर दुल्हे का स्वागत आरती और फूलों के साथ किया जाता है वहीं इनकी इस लोकप्रिय मान्यता के अनुसार बारात और दुल्हे का स्वागत आलू और टमाटर के साथ किया जाता है.
2. पेड़ से शादी
ज्योतिष, कुंडली और सितारे हमेशा से ही हिंदू विवाहों पर बड़ा प्रभाव डालते आए हैं. इतना ही नहीं ये बहुत सारी असामान्य शादी की रस्मों को भी जन्म देते हैं. ऐसा माना जाता है कि मंगल और शनि के एक निश्चित ज्योतिषीय संयोजन के तहत पैदा होने वाली महिला ‘मांगलिक’ कहलाती है. किसी मांगलिक कन्या का विवाह अगर नॉन-मांगलिक पुरुष से हो जाता है तो ऐसे में पति की मौत होने की आशंका होती है. ऐसे में लड़के से शादी करने से पहले लड़की की पेड़ से शादी कराई जाती है, जिससे पेड़ को लड़की का पहला पति माना जाता है.
3. मिट्टी के बर्तन बैलेंस करना
बिहार के कुछ समुदायों में यह प्रथा बहुत लोकप्रिय है. इसमें बड़ों से आशीर्वाद मांगते समय दुल्हन को अपने सिर पर मिट्टी के पॉट को बैलेंस करना होता है. यह इस बात का प्रतीक है कि दुल्हन नए घर में परिवार और अपनी जिम्मेदारियों को कितनी अच्छी तरह से निभाती है.
4. मछली बहाना
मणिपुर में एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, किसी भी नए शुरूआत से पहले हमें अपने अंदर से बुरी चीजों को हटाना होता है. इस नियम के अनुसार लड़का और लड़की को तालाब में एक साथ ताकी मछली को बहाना होता है.
5. दुल्हन को छिपाकर रखना
यह एक बहुत ही दुर्लभ परंपरा है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी भाग के कुछ आदिवासी समुदायों द्वारा अपनाई गई है. इसमें दुल्हन को शादी के बाद एक साल के लिए किसी के साथ बातचीत करने की इजाजत नहीं होती.
6. संन्यासी की भूमिका निभाना
तमिल ब्राह्मण शादीशुदा जीवन के बारे में पूर्व-आवश्यक ज्ञान के साथ दूल्हे को प्रबुद्ध करने में विश्वास करते हैं. इसमें वेदी से पहले दूल्हा संन्यासी बनता है. फिर दुल्हे का ससुर उससे ग्रहस्थ जीवन बिताने को आग्रह करता है.
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