
Parenting: बच्चे मासूम होते हैं और अक्सर ही छोटी-छोटी बातों पर रोने लगते हैं. यह देखकर माता-पिता का दिल पसीज जाता है और वे बच्चे को चुप कराने की कोशिश में लग जाते हैं. लेकिन, अपनी हर बात मनवाने के लिए बच्चे कभी भी रोने की आदत डाल लेते हैं. वे अक्सर ही बिना बात के रोने लगते हैं. पैरैंट्स यह तो समझ जाते हैं कि बच्चा असल में रो नहीं रहा है बल्कि सिर्फ रोने का नाटक कर रहा है लेकिन उसके इस रोने को कैसे चुप करवाया जाए यह समझ नहीं पाते. जायजतौर पर बच्चे को वह यह नहीं कह सकते कि तुम नाटक कर रहे हो और चुप हो जाओ. लेकिन, वे हर बार ही बच्चे की बात भी नहीं मान सकते हैं. इसपर यथार्थ हॉस्पिटल नोएडा एक्सटेंशन (Yatharth Hospital Noida Extension) के कंसल्टेंट साइकाइट्रिस्ट डॉ. मधुर राठी ने बताया कि किस तरह पैरेंट्स बच्चों के इस नाटक वाले रोने (Fake Crying) को बंद करा सकते हैं और कैसे सिचुएशन हैंडल की जा सकती है.
बच्चा रोने का नाटक करे तो क्या करें | What To Do If Baby Pretends To Cry
डॉ. मधुर राठी ने बताया कि जो बच्चे बात मनवाने के लिए रोने का नाटक करने लगते हैं तो इसे टेंपर टैंट्रम्स (Temper Tantrums) कहते हैं. कई बार यह होता है कि बच्चा पब्लिक प्लेस में टैंट्रम्स दिखाने लगता है और रोना शुरू कर देता है जिससे पैरेंट्स को हारकर उसकी बात माननी पड़ती है और वह जो मांग रहा है उसे दिलाना पड़ता है. लेकिन, यही चीज अगर बार-बार होती रहे तो बच्चा यह समझने लगता है कि वह जब भी रोएगा या टैंट्रम्स दिखाएगा तो उसकी बात मान ली जाएगी. जिस चीज को करने से मांग पूरी होगी वह उसी चीज को ज्यादा करेगा, उसे बढ़ावा और प्रोत्साहन मिलेगा.
डंटे रहें अपनी बात परबच्चे के रोज-रोज के टैंट्रम्स को लेकर डॉक्टर ने कहा कि बच्चे को यह बताया जाना जरूरी है कि हर बार ऐसा करना सही नहीं है और किसी भी चीज को पाने का एक तरीका होता है. पैरेंट्स को यह करना चाहिए कि बच्चे टैंट्रम्स थ्रो करे तो बच्चे की बात मानने के बजाय पैरेंट्स को उन्हें समझाना चाहिए और उसी जगह पर खड़े रहना चाहिए. कई बार यह होता है कि बच्चा लोगों के सामने जमीन पर लेटकर रोने लगता है जिससे उसे पकड़ना भी पड़ सकता है. पैरेंट्स (Parents) के लिए यह ध्यान रखा जरूरी है कि बच्चा अपनेआप को किसी तरह का नुकसान ना पहुंचा ले या उसे किसी तरह की चोट ना लग जाए. इस बात का खास ध्यान रखें कि बच्चा सुरक्षित हो.
जीवन पर पड़ता है असरपैरेंट्स अगर बहुत देर तक बच्चे की बात नहीं मानते हैं तो उसे समझ आ जाता है कि आप उसकी बात नहीं मानेंगे और अगली बार बच्चा ऐसा नहीं करेगा. डॉ. राठी ने बताया, अगर पैरेंट्स रोज के रोने से बच्चे की बात मानने लगेंगे तो यह बिहेवियर वह रोजाना दिखाने लगेगा. इससे आगे चलकर बच्चे को जिंदगी में परेशानी हो सकती है क्योंकि हर चीज उसे जिंदगी में नहीं मिल सकती.
परिवार का एक ही तरह का व्यवहार है जरूरीडॉक्टर की सलाह है कि परिवार में सभी का एक पेज पर होना जरूरी है, खासतौर से पैरेंट्स का. अगर बच्चा टेंपर टैंट्रम्स कर रहा है और परिवार का कोई एक सदस्य उसकी बात मान जाता है तो बच्चे को पता होता है कि उसे अपनी बात किससे मनवानी है. इसीलिए परिवार के सभी लोगों का एकसाथ स्टैंड लेना जरूरी है जिससे बच्चे को पता हो कि उसे कोई काम नहीं करना है तो मतलब नहीं करना है.
क्या बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है प्रभावबहुत से लोगों को यह लगता है कि अगर बच्चे की बात नहीं मानी जाए तो उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा. लेकिन, ऐसा नहीं है. यह एक-दो चीजें बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर नहीं डालती हैं, इससे उनकी मानसिक सेहत खराब नहीं होगी. लेकिन, अगर यह बार-बार हो रहा है तो किसी एक्सपर्ट्स से बात की जानी चाहिए.
पछतावा हो तो क्या करेंअगर पैरेंट्स को इस बात का पछतावा होता है तो कि आप बच्चे को वो चीज नहीं दे रहे जो उसे चाहिए और इससे वो उदास है तो आपको कंपंसेट करने के लिए उसके साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहिए.
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