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कोविड के बाद से 'ज‍िंदा महसूस करने' की चाह ने बढ़ाया ज्‍वालामुखी ट्रेंड, एडवेंचर से भरा है हर पल

Volcanic Tourism: छुट्टियों का मतलब है, आराम और सुकून. लेकिन आज की पीढ़ी के लिए यह परिभाषा बदल गई है. अब लोग आराम न कर के नए ट्रेंड फॉलो करते है. जहां वो जोश और जोखिम भरे काम करते है. इस बदलाव को एक नए ट्रेंड ने सही साबित किया है. जहां यात्री ज्वालामुखी के पास घूमने जाते हैं.

कोविड के बाद से 'ज‍िंदा महसूस करने' की चाह ने बढ़ाया ज्‍वालामुखी ट्रेंड, एडवेंचर से भरा है हर पल
Volcanic Tourism: घूमना वहीं पूरा होता है, जहां डर और सौंदर्य एक साथ मिलते हैं.

Volcanic Tourism: ज्वालामुखी पर्यटन आज के दौर में सबसे ज्यादा हिम्मत और रोमांचक अनुभवों में से एक है. ज्वालामुखी पर्यटन (volcanic tourism benefits) में लोग ज्वालामुखियों के पास जाकर प्रकृति की ताकत का करीब से अनुभव करते हैं (best volcanic sites to visit). सच कहे तो यह बेहद ही रोमांचकारी नजारा क‍िसी फ‍िल्‍म से कम नहीं लगता है. एक तरु ज्वालामुखी से न‍िकलता लावा है और हवा में सल्फर होता है. वहीं, चारों तरु राख फैली होती है. यह एडवेंचर्स नजारा वाकई आपकी ज‍िंंदगी में थ्रि‍ल पैदा कर देता है. पर यह उतना ही खतरनाक भी है, दरअसल खतरों के बीच नेचर के बदलाव को करीब से देखना वाकई आपको पसंद आएगा. 

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यह ट्रेंड   (volcanic tourism) जितना रोमांचकारी है, उतना ही खतरनाक भी है. हाल ही में 26 वर्षीय ब्राज़ीलियन पब्लिसिस्ट और ट्रैकर जुलियाना मारिंस की इंडोनेशिया के माउंट रिंजानी पर मौत ने इस विषय को चर्चा में लाया है. जुलियाना यात्रा की शौकीन थीं और उनके इंस्टाग्राम पर लाखों फॉलोअर्स थे. जून 2025 में एक ट्रेक के दौरान वह करीब 490 फीट नीचे गिर गईं. बचाव दल की तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें समय पर नहीं बचाया जा सका. जिसके कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई.

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ये दर्दनाक घटना ज्वालामुखी पर्यटन की लापरवाही को सबके सामने लेकर आई है. इसके साथ ही एक सवाल ये भी है क‍ि  क्या ये साहस है या जान के साथ खिलवाड़ ?

ज्वालामुखी पर्यटन न तो पूरी तरह गलत है, न ही पूरी तरह सही है. यह एक पर्सनल फैसला है, लेकिन यह चुनाव समझदारी, सतर्कता और जिम्मेदारी के साथ लेना चाहिए. ज्वालामुखी पर्यटन हमें प्रकृति की ताकत को करीब से देखने का मौका देती है, लेकिन रोमांच के साथ जि‍म्मेदारी जरूरी है. 

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विशेषज्ञों के अनुसार कोविड के बाद से लोगों में 'ज‍िंंदा महसूस करने' की चाह बढ़ गई है. सोशल मीडिया भी इस ट्रेंड को बढ़ावा दे रहा है. जहां लावा के पास ली गई तस्वीरों को ज्यादा शेयर किया जा रहा है. ज्वालामुखी जैसे खतरनाक जगह पर जाना ही अब नई घूमने की परिभाषा बन चुका है.

पर क्या ये सुरक्षित है?

अगर जरूरी सावधानियां बरती जाएं तो यह अनुभव सुरक्षित भी हो सकता है. लेकिन रोमांच के साथ जिम्मेदारी जरूरी है. जिससे हमें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए. इस ट्रेंड की बढ़ती लोकप्रियता के साथ जवाबदेही और तैयारी की जरूरत भी बढ़ जाती है. ज्वालामुखी चाहे निष्क्रिय ही क्यों न हो, उसका व्यवहार पल में बदल सकता है. यही कारण है कि यात्रियों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए.

  • किसी भी ट्रैक से पहले उस ज्वालामुखी का अलर्ट लेबल (Alert Level) जांचें.
  • सिर्फ गाइड के साथ यात्रा ही करें.
  • सभी सुरक्षा निर्देशों का पालन करें.
  • अपनी स्वास्थ्य स्थिति की पहले से जांच कराएं.

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