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पॉटी ट्रेनिंग के लिए कौन सी उम्र सबसे अच्छी है? बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग कैसे दें, यह है वह सही तरीका

Baby ko potty training kab se de : बच्चों की परवरिश करना आसान नहीं होता है. उन्हें शुरू से कुछ न कुछ सीखना होता है. बच्चों को कब पॉटी ट्रेनिंग देनी चाहिए आइए आपको बताते हैं.

पॉटी ट्रेनिंग के लिए कौन सी उम्र सबसे अच्छी है? बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग कैसे दें, यह है वह सही तरीका
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Potty Training Tips For Kids: बच्चों को पालना आसान नहीं होता है. मां को अपने बच्चों को बड़ा करने के लिए बहुत त्याग करने होते हैं. बच्चों को शुरू से ही धीरे-धीरे कुछ न कुछ सिखाना पड़ता है ताकि बड़े होते हुए वो अपनी चीजें आसानी से करना सीख जाएं. बच्चों को डायपर से रैशेज होना शुरू हो जाते हैं, ऐसे में उन्हें टाइम से सुसु-पॉटी करना सिखाना जरूरी होता है ताकि जल्द से जल्द डायपर (Diaper) से छुटकारा दिलाया जा सके. बच्चे को पॉटी सीट पर बिठाना आसान नहीं होता है. कई बच्चे डर की वजह से रोने लगते हैं. पेरेंट्स (Parenting) के लिए बेबी को पॉटी सीट पर बैठाना बहुत चैलेंजिंग होता है. बच्चे को पॉटी सीट पर बैठाना सिखाते हुए पेरेंट्स कई बार सख्त हो जाते हैं. ऐसे में कुछ टिप्स हैं जिनकी मदद से बच्चों को आसानी से पॉटी सीट पर बैठाना सिखाया जा सकता है. इस ट्रेनिंग की सही उम्र क्या होती है, आइए जानते हैं (Let's Know The Right Age For This Training).

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किस उम्र में दे ट्रेनिंग (Right Age For Potty Training)

बेबी को पॉटी ट्रेनिंग के लिए एक उम्र होती है. अगर पेरेंट्स उससे पहले सिखाना शुरू करते हैं, तो वो परेशान होने लगते हैं. बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग आमतौर पर 18-24 महीने की उम्र में दी जा सकती है. इस उम्र में बच्चा आसानी से सीखने लगता है. हर बच्चा अलग होता है, ऐसे में ये ट्रेनिंग देते हुए इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा असहज महसूस न कर रहा हो.

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सही साइन का वेट करें (Wait For The Right Signs)

पॉटी ट्रेनिंग करने से पहले ये समझना जरूरी है कि बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार है या नहीं. अगर आपका बच्चा पॉटी करने से पहले साइन दे रहा है या एक रूटीन फॉलो कर रहा है, तो इसका मतलब है कि वो सीखने के लिए तैयार है.

बच्चे को मोटिवेट करें (Motivate The Child)

पॉटी ट्रेनिंग के दौरान बच्चों को डांटने या उन पर गुस्सा करने की जगह उन्हें मोटिवेट करें. उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाएं. उनकी आलोचना न करें या डराएं नहीं. उनसे पॉजिटिव बातें करें ताकि वो आराम से सीख सके.

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