
Glutathione Treatment: हाल ही में 'कांटा लगा' गर्ल और रियलिटी टीवी स्टार शेफाली जरीवाला (Shefali Jariwala Death) के निधन की खबर ने सबको झकझोर कर रख दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेफाली का निधन ग्लूटाथियोन इंजेक्शन लेने के बाद हुआ. कहा जा रहा है कि उन्होंने फास्ट रखा था और बिना कुछ खाए ग्लूटाथियोन का इंजेक्शन ले लिया था. उसके बाद से ग्लूटाथियोन के यूज पर विवाद जारी है. इसी बीच, मुंबई की एक महिला ने ग्लूटाथियोन ड्रिप्स (Glutathione Se Kya Hota Hai) देने वाले एक कॉस्मेटिक क्लीनिक पर गंभीर आरोप लगाए हैं. बता दें, स्किन लाइटनिंग और डिटॉक्स थेरेपी के नाम पर ग्लूटाथियोन का खूब प्रचार हो रहा है. लेकिन ये प्रक्रिया आमतौर पर बिना किसी निगरानी के ही की जा रही है. महिला के आरोप इस ओर इशारा कर रहे हैं.

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ग्लूटाथियोन क्लीनिक पर आरोप
NDTV से खास बातचीत में 40 साल की मैगी नाम की महिला ने अपनी दर्दभरी कहानी सुनाई. उन्होंने बताया कि ये सब उनके लिए सिर्फ स्किन ट्रीटमेंट तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई. उन्होंने अपना दर्द कुछ इस तरह बयां किया, "पहले सेशन के बाद ही मेरी सर्दी-खांसी बढ़ गई थी. मैंने क्लिनिक में कई बार कॉल और मैसेज किए, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे शरीर में क्या हो रहा है.
हालांकि तब वो ये नहीं समझ पाईं कि उन्हें ग्लूटाथियोन ट्रीटमेंट की वजह से कोई तकलीफ हो रही है. उन्होंने सोचा कि ये मौसम या प्रदूषण की वजह से हो रहा है, इसलिए उन्होंने दूसरा और तीसरा सेशन भी ले लिया. इतना ही नहीं, उन्होंने उसी क्लिनिक में PRP (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा) फेशियल भी कराया. उस प्रोसेस से भी वो खुश नजर नहीं आईं. उन्होंने उस ट्रीटमेंट के लिए कहा कि वो बहुत खराब तरीके से किया गया था. उनका आरोप है कि प्लाज्मा देर से इंजेक्ट किया गया, जिससे उनके चेहरे पर दाग पड़ गए. "मुझे ऑफिस जाने के लिए चेहरा छिपाना पड़ता था." ये कहते हुए मैगी भावुक हो गईं.
एसिडिटी और फफोले तक हुए
इसके बाद उनकी तबीयत और बिगड़ती चली गई. उन्हें तेज एसिडिटी, मुंह के छाले, फफोले, जबड़े में सूजन और पीरियड्स बंद होने जैसी समस्याएं होने लगीं. उन्होंने कहा "मुझे अपनी नौकरी तक छोड़नी पड़ी". पिछले दिसंबर में कराए गए एंडोस्कोपी में उनके शरीर में गंभीर इन्फेक्शन पाया गया. "मैं लगभग एक साल से दवाइयां ले रही हूं. दवा बंद करते ही सारी दिक्कतें वापस आ जाती हैं" उन्होंने बताया.

बूस्टर डोज लेना पड़ा भारी
लेकिन चौथे ग्लूटाथियोन सेशन के दौरान जो हुआ, उसने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बिखेर कर रख दिया. जब उन्होंने ट्रीटमेंट का असर ना दिखने की शिकायत की, तो डॉक्टर ने 'बूस्टर डोज' लेने का सुझाव दिया, जिसमें दवा की मात्रा बढ़ा दी गई.
"उस दिन मुझे लगा जैसे मैं मौत के करीब पहुंच गई हूं. मैंने क्लिनिक के स्टाफ से कहा कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है. मेरी बेटी रिसेप्शन में बैठी थी, लेकिन उन्होंने आधे घंटे तक उसे भी नहीं बुलाया," मैगी ने दर्दभरे पलों को याद करते हुए बताया.
इसके बाद उन्होंने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन वहां से कहा गया कि ये 'मेडिकल ड्रग्स' का मामला है, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती. मैगी ने क्लिनिक को दो बार लीगल नोटिस भी भेजे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने कहा कि आम लोगों की परेशानी से उन लोगों को फर्क नहीं पड़ता.
क्या ग्लूटाथियोन ट्रीटमेंट लगनी चाहिए रोक?
मैगी की कहानी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आखिर स्किन लाइटनिंग के नाम पर चल रहे इस अनियंत्रित ग्लूटाथियोन ट्रीटमेंट पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है. उनका आरोप है कि ज्यादातर क्लिनिक साइड इफेक्ट्स या डोज की सही जानकारी नहीं देते, बस सेलिब्रिटीज को खुश करने में लगे रहते हैं. उन्होंने कहा, "अगर आप सेलिब्रिटी हैं, तो आपको स्पेशल ट्रीटमेंट मिलेगा, वरना बाकी लोगों की सुध तक नहीं ली जाती. इनका बस एक ही मकसद है, क्लाइंट्स को फंसाना." मैगी का कहना है कि सब लोग अपने चेहरे पर ग्लो चाहिए. जबकि इसके साइडइफेक्ट्स पर भी बात की जाना चाहिए. उन्हें लगता है कि ग्लूटाथियोन की वजह से सेहत संबंधी परेशानी से और भी महिलाएं जूझ रही होंगी.
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