नयी दिल्ली:
शरीर को फिट रखने और दवाइंयों पर होने वाला खर्च कम करना है, तो आपको रोजाना भुजंगासन करना चाहिए। इस आसन को भुजंगासन नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इसको करते समय आपकी बॉडी शेप भुजंग (सिर उठाए सांप) के जैसी प्रतीत होती है। इस योगासन के अनेकों फायदे हैं, लेकिन इन सभी फायदों को पाने के लिए आपको भुजंगासन को सही ढंग से करना भी बहुत जरूरी है। तो आइए जानते हैं इसे करने की विधि और इसके ढ़ेरों लाभ...
ये है करने का सही तरीका
भुजंगासन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल समतल जमीन पर लेट जाएं। इसके बाद दोनों हाथों की मदद से ऊपर की ओर उठें और पैरों के पंजों को साथ में रखें। इसके बाद अपने सिर को उठाएं और पीछे की ओर पुश करें। इससे आपके कंधों पर शरीर का भार पड़ेगा। जितना हो सके उतना अपने शरीर को स्ट्रेच करने की भी कोशिश करें।
ये हैं इस योगासन के ढेरों लाभ
इस योगासन को करने से रीढ़ की हड्डी को मजबूती और लचीलापन मिलता है। इससे मस्तिष्क और शरीर के बीच बेहतर समन्वय बना रहता है। मस्तिष्क से आने वाली तरंगे शरीर के हर अंग में बिना रुकावट के पहुंचती हैं।
रीढ़, कमर और पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव आने से मस्तिष्क और शरीर में रक्त का संचार भी अच्छे ढंग से होने लगता है।
भुजंगासन फेफड़ों के प्यूरीफिकेशन के लिए अच्छा है। दमा, खांसी और फेंफड़ों से जुड़ी बीमारियों से राहत दिलाता है।
यह आसन करने से डाइजेशन अच्छा बना रहता है। कब्ज दूर करने में भी सहायक है।
यह आसन आपकी पेट की चर्बी कम करने में मददगार है।
सही मांसपेशियों में खिंचाव बनने से इस आसन को करने से कंधों को मजबूती मिलती है।
इसका रखें ध्यान
इस आसन को करते समय अचानक से पीछे की तरफ बहुत अधिक न झुकें। इससे आपकी छाती या पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है तथा बांहों और कंधों की पेशियों में भी बल पड़ सकता है जिससे दर्द पैदा होने की संभावना बढ़ती है।
ये लोग न करें यह आसन
पेट में कोई रोग या पीठ में अत्यधिक दर्द हो तो यह आसन न करें। पेप्टिक अल्सर, हर्निया और हाइपर थाईरॉडियम के रोगियों को भुजंगासन किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए।
ये है करने का सही तरीका
भुजंगासन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल समतल जमीन पर लेट जाएं। इसके बाद दोनों हाथों की मदद से ऊपर की ओर उठें और पैरों के पंजों को साथ में रखें। इसके बाद अपने सिर को उठाएं और पीछे की ओर पुश करें। इससे आपके कंधों पर शरीर का भार पड़ेगा। जितना हो सके उतना अपने शरीर को स्ट्रेच करने की भी कोशिश करें।
ये हैं इस योगासन के ढेरों लाभ
इस योगासन को करने से रीढ़ की हड्डी को मजबूती और लचीलापन मिलता है। इससे मस्तिष्क और शरीर के बीच बेहतर समन्वय बना रहता है। मस्तिष्क से आने वाली तरंगे शरीर के हर अंग में बिना रुकावट के पहुंचती हैं।
रीढ़, कमर और पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव आने से मस्तिष्क और शरीर में रक्त का संचार भी अच्छे ढंग से होने लगता है।
भुजंगासन फेफड़ों के प्यूरीफिकेशन के लिए अच्छा है। दमा, खांसी और फेंफड़ों से जुड़ी बीमारियों से राहत दिलाता है।
यह आसन करने से डाइजेशन अच्छा बना रहता है। कब्ज दूर करने में भी सहायक है।
यह आसन आपकी पेट की चर्बी कम करने में मददगार है।
सही मांसपेशियों में खिंचाव बनने से इस आसन को करने से कंधों को मजबूती मिलती है।
इसका रखें ध्यान
इस आसन को करते समय अचानक से पीछे की तरफ बहुत अधिक न झुकें। इससे आपकी छाती या पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है तथा बांहों और कंधों की पेशियों में भी बल पड़ सकता है जिससे दर्द पैदा होने की संभावना बढ़ती है।
ये लोग न करें यह आसन
पेट में कोई रोग या पीठ में अत्यधिक दर्द हो तो यह आसन न करें। पेप्टिक अल्सर, हर्निया और हाइपर थाईरॉडियम के रोगियों को भुजंगासन किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए।
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