
Food Impact On Brain Function: आजकल ज्यादातर हेल्थ प्रॉब्लम की जड़ हमारी खराब लाइफस्टाइल है. भागदौड़ भरी जिंदगी में हम न सिर्फ ब्रेकफास्ट छोड़ देते हैं, बल्कि दोपहर और रात के खाने में भी बिना सोचे-समझे कुछ भी खा लेते हैं. ऊपर से डिब्बाबंद खाना (Best Foods For Brain Power) और जंक फूड हमारी हेल्थ को और नुकसान पहुंचा रहे हैं. पुराने जमाने में कहा जाता था- जैसा अन्न, वैसा मन. यानी हमारा फूड न (Traditional Indian Diet Benefits) सिर्फ हमारे शरीर, बल्कि हमारे मेंटल हेल्थ और थॉट्स पर भी इम्पैक्ट डालता है. अब यही बात वेस्टर्न कंट्री में भी मानी जाने लगी है. साइंटिफिक रिसर्च भी इस बात को सही ठहराते हैं कि हमारी डाइट सीधे तौर पर हमारे दिमाग और सोचने-समझने की क्षमता पर असर डालती है. हाल ही में बॉलीवुड एक्टर आर. माधवन का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे बताते हैं कि हम जैसा खाते हैं वैसे ही हो (Mindful Eating Benefits) जाते हैं. तो आइए जानते हैं कि ये कैसे होता है और खाने का हमारी बॉडी और दिमाग पर क्या असर होता है.
डाइट सीधे हमारे दिमाग पर असर डालती है: हमारी डाइट सीधे हमारे दिमाग पर असर डालती है. गलत खानपान की आदतों के कारण इनसोम्निया (अनिद्रा), हाई कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी प्रॉब्लम हो सकती हैं. डाइट न केवल आंत में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि शरीर में इन्फ्लेमेशन (सूजन) को कम करने, मूड को बेहतर बनाने और एनर्जी लेवल को बनाए रखने में भी हेल्पफुल है. डाइट में ताजी सब्जियां, फल, अनप्रोसेस्ड अनाज और मछली का सेवन कर सकते हैं.
मेंटल हेल्थ को बूस्ट करता है न्यूट्रिएंट्स डाइट: सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जो नींद और भूख को कंट्रोल करने के साथ-साथ मूड स्विंग और दर्द को कम करने में मदद करता है. हमारे शरीर में बनने वाले कुल सेरोटोनिन का लगभग 95% गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में बनता है. यहां लाखों नर्व सेल और न्यूरॉन्स मौजूद होते हैं, जो न सिर्फ डाइजेस्टिव प्रोसेस को कंट्रोल करते हैं, बल्कि मेंटल हेल्थ पर भी गहरा इम्पैक्ट डालते हैं. इससे समझा जा सकता है कि हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम केवल फूड को पचाने का काम नहीं करता, बल्कि हमारी इमोशन और सोचने की क्षमता को भी प्रभावित करता है. सेरोटोनिन के बनने में आंतों में मौजूद गुड बैक्टीरिया का रोल होता है, जो माइक्रोबायोम बनाते हैं और मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने में हेल्पफुल होते हैं.
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फूड कैसे बढ़ाता है ब्रेन की एफिशिएंसी
कम तेल-घी वाले बैलेंस डाइट और वेजिटेरियन को हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता रहा है. एक रिसर्च में ये पाया गया कि डिमेंशिया जैसी समस्याओं पर विटामिन ई, विटामिन बी और विटामिन के से भरपूर डाइट पॉजिटिव इम्पैक्ट डालते हैं. स्टडी में ये भी बताया गया कि हरी पत्तेदार सब्जियां, अन्य हरी सब्जियां, जामुन और सी फूड ब्रेन की सुरक्षा के लिए जरूरी हैं. ज्यादातर रिसर्च में ये पाया गया है कि न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी जैसे अल्जाइमर के पेशेंट के लिए नट्स फायदेमंद हैं.
शास्त्रों में अन्न को ब्रह्म कहा गया है (In Scriptures Food Is Called Brahma)
- शास्त्रों में अन्न को ब्रह्म कहा गया है और इसका अपमान करना किसी देवता के अपमान के समान माना जाता है.
- इसलिए, फूड बनाने की प्रोसेस भी पूजा-अर्चना की तरह पवित्र मानी जाती है.
- खेतों से लेकर थाली तक अन्न आने में कई फेज लगते हैं, और इस दौरान कमाने, पकाने, परोसने और खाने वाले की मेंटालिटी उसके न्यूट्रिएंट्स को प्रभावित कर सकती है.
- अगर खाना प्रेम से तैयार किया जाए, तो ये न्यूट्रिएंट्स और एनर्जी से भरपूर होता है.
- वहीं, अगर इसे अनमने ढंग से, मजबूरी में या नेगेटिव सोच के साथ बनाया जाए, तो उसमें नेगेटिव वाइब्स आ सकती हैं.
- इसलिए फूड बनाते समय अच्छे मन से बनाया जाना चाहिए.
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