Parenting Tips: स्कूलों में ओलंपियाड एग्जाम या कंपीशन होते रहते हैं जिनमें बच्चे पूरे मन से भाग लेते हैं. ये ओलंपियाड ज्यादातर विज्ञान और गणित के होते हैं. इनमें बच्चों की बुद्धिमत्ता के साथ-साथ उनकी तेजी और प्रसेंस ऑफ माइंड भी देखा जाता है. अगर आपका बच्चा भी स्कूल में ओलंपियाड एग्जाम (Olympiad Exam) की तैयारी कर रहा है तो आप माता-पिता होने के नाते कई तरह से उसकी मदद कर सकते हैं. खासकर छोटे बच्चों को पैरेंट्स की गाइडेंस की जरूरत होती है. ऐसे में यहां दिए टिप्स आपके काम आएंगे.
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बच्चों को ओलंपियाड के लिए कैसे करें तैयार | How To Prepare Children For Olympiad
स्ट्रैटजी बनाना है जरूरीकिसी भी कंपीटीशन की तैयारी करते हुए स्ट्रैटजी बनाना जरूरी होता है. किस समय पढ़ना है, कितनी देर पढ़ना है, पहले क्या याद करना चाहिए, किस चीज की प्रैक्टिस ज्यादा जरूरी है और किन चीजों को बाद के लिए छोड़ सकते हैं यह सब प्लानिंग करना जरूरी होता है.
समझने पर दें जोरसिर्फ चीजें याद करने या रट्टा मारने से ओलंपियाड में काम नहीं चलता है. इसके लिए समझने पर जोर देना जरूरी है. बच्चे को कहें कि जो उसे समझ नहीं आता उसपर सवाल करे और उन सवालों के जवाब समझने पर ध्यान दे. इससे ओलंपियाड में वह किसी भी सवाल को सुलझाने के लिए तैयार रहेगा.
प्रैक्टिस से ही परफेक्शन आएगीकिसी भी सवाल या टेस्ट (Olympiad Mock Test) को एक बार कर लेने भर से ही संतुष्ट होकर नहीं बैठा जा सकता है. बार-बार प्रैक्टिस करते रहने से ही परफेक्शन आ पाती है. इससे चीजें बेहतर तरह से याद तो हो ही जाती हैं, साथ ही दिमाग ओलंपियाड के दौरान तेजी से काम करने लगता है और बहुत ज्यादा समय सोचने में खर्च नहीं होता है.
कंसिस्टेंसी है जरूरीओलंपियाड के लिए एक दिन घंटों तक पढ़ाई करने और दूसरे दिन ना के बराबर पढ़ने से काम नहीं चलता है. कंसिस्टेंट होना बेहद जरूरी है. चाहे रोजाना कम ही घंटे पढ़ा जाए लेकिन रोजाना उतनी ही देर पढ़ना और उसी लगन से पढ़ना जरूरी होता है. अगर बच्चे कंसिस्टेंट रहते हैं तो उनके याद करने की क्षमता भी बढ़ती है.
ग्रूप स्टडी है अच्छा आइडियारोजाना ना सही लेकिन हफ्ते में 2 से 3 बार ग्रूप स्टडी (Group Study) की जा सकती है. ओलंपियाड की तैयारी कर रहे बाकी बच्चों के साथ बैठकर प्रैक्टिस करना आपके बच्चे के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है. इससे किसी सवाल को सुलझाने के अलग-अलग तरीके बच्चे को समझ आ सकते हैं और दूसरे बच्चों से कंपीटीशन की भावना भी आगे बढ़ने का जोश भरती है.
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