कहते हैं कि एक पिता को अपने बेटे का बाप कम दोस्त ज्यादा बनना चाहिए। अगर आप किसी भी पिता से पूछेंगे कि क्या उनका रिश्ता ऐसा है, तो पापा का जवाब हां होगा। लेकिन बेटे का जवाब शायद आपको हैरान कर दे। जहां पापा कहते हैं कि उनका बेटा उन्हें हर बात बताता है, वहीं बेटे का जवाब होगा- ' न बाबा न... कभी नहीं। पापा को सारी बातें बता कर मरना है क्या...
अक्सर आपने अपने, किसी रिश्तेदार या दोस्त के परिवार में पिता और पुत्र के बीच दोस्ती कम ही हो पाती है। इसके पीछे कई वजहें हैं, जिनमें से कुछ ये हैं-
तुम अभी बच्चे हो!
बेटा जब 18 साल का हो जाता है, तो वह खुद को बड़ा और समझदार मान लेता है। लेकिन वो कहते हैं न बाप-बाप होता है और बेटा-बेटा... बस यही एक बात पापा के दिमाग से नहीं निकलती और वह बेटे को नासमझ और बच्चा ही मानते रहते हैं। और यह बन जाती है पापा-बेटे के बीच की दोस्ती के रास्ते का कांटा।
कब लोगे जिम्मेदारी?
पता नहीं क्यों हर पिता को लगता है कि उनका बेटा कोई भी काम जिम्मेदारी से नहीं करता और हर बेटे को लगता है कि पापा बिना वजह हर बात पर ओवर रिएक्ट करते हैं। ऐसे में दोनों को चाहिए कि वह साथ बैठ कर इस पर बात करें, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। और इसी के चलते पिता और पुत्र के बीच पनप जाती है एक और गलतफहमी...
तुम्हारे बस का काम नहीं...
जब कोई बेटा आगे बढ़ कर किसी काम की जिम्मेदारी लेता है तो उसका सारा उत्साह तभी खत्म हो जाता है, जब पापा कहते हैं - सोच लो, ये काम तुम्हारे बस का नहीं है। कहीं बात में कहो कि मुझसे नहीं होगा। अभी मना कर दो...
बस यही एक बात बेटा अपने पापा से कभी नहीं सुनना चाहता। बेटा चाहता है कि पापा उसके साथ खड़े हों, उसे हौंसला और हिम्मत दें। ऐसे में जब पिता उसे ये बातें कहते हैं, तो वह उनसे हिचकने और दूर होने लगता है।
ये हैं तुम्हारे दोस्त?
ज्यादातर लड़कों को इस दुनिया में अगर कुछ सबसे प्यारा है तो वह हैं उनके दोस्त। ऐसे में जब भी पापा अपने बेटे से उसकी संगत और दोस्तों की बुराई करते हैं या उन पर ताने कसते हैं, तो बेटों को यह कतई पसंद नहीं आता। पर पापा तो पापा ठहरे उन्हें कौन समझाए...
बस आवारागर्दी करते रहो...
कभी-कभी लड़कों को लगता है कि पापा को उनकी हर चीज से दिक्कत है। इसके पीछे कई वजहें हैं, जैसे पिता का भरोसा न दिखाना, बेमतलब शक करना उन्हें परेशान कर देता है। इस लिस्ट में एक और बात तब जुड़ जाती है, जब बेटा भले ही घर का कोई काम निपट कर आया हो और अनजान पिता उसे कह देते हैं कि तुम पूरे दिन आवारागर्दी करते हो... यकीनन कोई भी बेटा अपने पिता से यह बात नहीं सुनना चाहेगा....
अक्सर आपने अपने, किसी रिश्तेदार या दोस्त के परिवार में पिता और पुत्र के बीच दोस्ती कम ही हो पाती है। इसके पीछे कई वजहें हैं, जिनमें से कुछ ये हैं-
तुम अभी बच्चे हो!
बेटा जब 18 साल का हो जाता है, तो वह खुद को बड़ा और समझदार मान लेता है। लेकिन वो कहते हैं न बाप-बाप होता है और बेटा-बेटा... बस यही एक बात पापा के दिमाग से नहीं निकलती और वह बेटे को नासमझ और बच्चा ही मानते रहते हैं। और यह बन जाती है पापा-बेटे के बीच की दोस्ती के रास्ते का कांटा।
कब लोगे जिम्मेदारी?
पता नहीं क्यों हर पिता को लगता है कि उनका बेटा कोई भी काम जिम्मेदारी से नहीं करता और हर बेटे को लगता है कि पापा बिना वजह हर बात पर ओवर रिएक्ट करते हैं। ऐसे में दोनों को चाहिए कि वह साथ बैठ कर इस पर बात करें, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। और इसी के चलते पिता और पुत्र के बीच पनप जाती है एक और गलतफहमी...
तुम्हारे बस का काम नहीं...
जब कोई बेटा आगे बढ़ कर किसी काम की जिम्मेदारी लेता है तो उसका सारा उत्साह तभी खत्म हो जाता है, जब पापा कहते हैं - सोच लो, ये काम तुम्हारे बस का नहीं है। कहीं बात में कहो कि मुझसे नहीं होगा। अभी मना कर दो...
बस यही एक बात बेटा अपने पापा से कभी नहीं सुनना चाहता। बेटा चाहता है कि पापा उसके साथ खड़े हों, उसे हौंसला और हिम्मत दें। ऐसे में जब पिता उसे ये बातें कहते हैं, तो वह उनसे हिचकने और दूर होने लगता है।
ये हैं तुम्हारे दोस्त?
ज्यादातर लड़कों को इस दुनिया में अगर कुछ सबसे प्यारा है तो वह हैं उनके दोस्त। ऐसे में जब भी पापा अपने बेटे से उसकी संगत और दोस्तों की बुराई करते हैं या उन पर ताने कसते हैं, तो बेटों को यह कतई पसंद नहीं आता। पर पापा तो पापा ठहरे उन्हें कौन समझाए...
बस आवारागर्दी करते रहो...
कभी-कभी लड़कों को लगता है कि पापा को उनकी हर चीज से दिक्कत है। इसके पीछे कई वजहें हैं, जैसे पिता का भरोसा न दिखाना, बेमतलब शक करना उन्हें परेशान कर देता है। इस लिस्ट में एक और बात तब जुड़ जाती है, जब बेटा भले ही घर का कोई काम निपट कर आया हो और अनजान पिता उसे कह देते हैं कि तुम पूरे दिन आवारागर्दी करते हो... यकीनन कोई भी बेटा अपने पिता से यह बात नहीं सुनना चाहेगा....
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