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कहीं आपका गोल्‍डन ब्‍लड तो नहीं?, यह खून अपनी इस खास‍ियत के कारण माना जाता है बेहद खास

Rh-Null ब्लड ग्रुप किसी भी व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है, जिससे यह यूनिवर्सल डोनर बन जाता है. लेकिन दिक्कत यह है कि अगर Rh-Null वाले किसी व्यक्ति को ब्लड की जरूरत पड़े, तो वह केवल अपने ही ब्लड ग्रुप से खून ले सकता है, जो कि दुनिया में बेहद कम लोगों के पास है.

कहीं आपका गोल्‍डन ब्‍लड तो नहीं?, यह खून अपनी इस खास‍ियत के कारण माना जाता है बेहद खास
इसी वजह से इसे दुनिया का सबसे अनोखा और रेयर ब्लड ग्रुप मानते हैं.

RH Null Blood: क्या आपने कभी 'गोल्डन ब्लड' के बारे में सुना है? अगर नहीं तो जान लीजिए यह दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप Rh-Null है, जिसे 'गोल्डन ब्लड' (Golden Blood Group) भी कहा जाता है. एक रिसर्च के अनुसार, पूरी दुनिया में अब तक इस ब्लड ग्रुप के केवल 45 लोग हैं. ये लोग जापान, कोलंबिया, ब्राजील, अमेरिका और आयरलैंड जैसे विभिन्न देशों में रहते हैं. हम आमतौर पर 8 ब्लड ग्रुप (Rarest Blood Group) के बारे में जानते हैं, A+, A-, B+, B-, O+, O-, AB+, AB- जो ब्लड में मौजूद एंटीजन के होने या न होने पर निर्भर करते हैं. लेकिन इसके अलावा एक और जरूरी फैक्टर है जिसे Rh फैक्टर कहा जाता है. दरअसल, Rh फैक्टर रेड (Rh Null Blood Type) ब्लड सेल्स (RBC) की सतह पर पाया जाने वाला एक खास तरह का प्रोटीन होता है. अगर यह प्रोटीन मौजूद होता है, तो ब्लड Rh-पॉजिटिव (Rh+) कहलाता है, और अगर यह नहीं होता, तो ब्लड Rh-नेगेटिव (Rh-) माना जाता है. लेकिन गोल्डन ब्लड (Rh-Null) वाले लोगों में यह प्रोटीन बिल्कुल भी मौजूद नहीं होता— ना ही पॉजिटिव और ना ही नेगेटिव. इसी वजह से यह ब्लड ग्रुप बेहद दुर्लभ और खास माना जाता है. इसी वजह से इसे दुनिया का सबसे अनोखा और रेयर ब्लड ग्रुप मानते हैं.

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Photo Credit: Pexels

Rh-Null ब्लड कैसे बनता है? (Rh Blood Group System)

  • यह दुर्लभ ब्लड ग्रुप एक म्युटेशन के कारण बनता है.
  • यह बदलाव शरीर में Rh प्रोटीन के प्रोडक्शन को रोक देता है.
  • हालांकि, जिन लोगों का ब्लड ग्रुप Rh-Null होता है.
  • उन्हें इससे कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं होती.
  • वे सामान्य और स्वस्थ जीवन जीते हैं.
  • Rh-Null ब्लड ग्रुप ब्लड साइंस के लिए एक जरूरी खोज है.
  • इस दुर्लभ ब्लड ग्रुप की खोज वैज्ञानिकों ने साल 1960 में की थी.
  • गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले लोग मुख्य रूप से अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील और जापान में हैं.
  • इस ब्लड ग्रुप के कारण प्रभावित व्यक्तियों को अक्सर एनीमिया की समस्या हो सकती है. इसलिए उन्हें आयरन वाला फूड प्रोडक्ट सेवन करने की सलाह दी जाती है.
  • इस दुर्लभ ब्लड ग्रुप को इंटरनेशनल लेवल पर ट्रांसपोर्ट करना भी चैलेंजिंग होता है.
  • इस वजह से एक्टिव डोनर्स से मिले ब्लड को खास तौर पर स्टोर किया जाता है.
  • इसे किसी अन्य व्यक्ति को नहीं चढ़ाया जाता.
  • जब जरूरत पड़ती है, तो यह खून फिर से उसी व्यक्ति को दिया जाता है, जिससे इसे लिया गया था.

गोल्डन ब्लड नेटवर्क (Golden Blood Network)

  • इस समस्या के समाधान के लिए दुनिया भर में एक गोल्डन ब्लड नेटवर्क बनाया गया है. इसमें Rh-Null ब्लड वाले लोग रजिस्टर होते हैं.
  • यह इसलिए बनाया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर वे अपना ब्लड डोनेट कर सकें.
  • हालांकि, ऐसे डोनर की संख्या बेहद कम है.
  • इसलिए इस ब्लड की अवेलेबिलिटी हमेशा एक चुनौती बनी रहती है.

ब्लड का क्या है काम? (What Is The Function Of Blood In Body)

  • ब्लड हमारे बॉडी की हर सेल्स तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है.
  • रेड ब्लड सेल्स (RBCs) फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर पूरे शरीर में फैलाती हैं.
  • यह फूड से मिले ग्लूकोज, विटामिन और मिनरल्स को सेल्स तक पहुंचाने का काम करता है. ब्लड शरीर में बने हार्मोन्स और एंजाइम्स को उन ऑर्गन तक पहुंचाता है, जहां उनकी जरूरत होती है.
  • जैसे कि इंसुलिन हार्मोन ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है.
  • ब्लड शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस बनाए रखता है

सेम ब्लड ग्रुप से लेना होता है ब्लड

  • Rh-Null ब्लड ग्रुप किसी भी व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है, जिससे यह यूनिवर्सल डोनर बन जाता है.
  • अगर Rh-Null वाले किसी व्यक्ति को ब्लड की जरूरत पड़े, तो वह केवल अपने ही ब्लड ग्रुप से खून ले सकता है, जो कि दुनिया में बेहद कम लोगों के पास है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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