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Success Story: हिम्मत और मेहनत की मिसाल, कभी 10वीं में फेल हुए थे, आज DSP अभिषेक चौबे लाखों युवाओं के लिए बन रहे प्रेरणास्रोत

बिहार पुलिस में डिप्टी एसपी (DSP) के पद पर तैनात अभिषेक की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो हार मानने के बजाय संघर्ष करना चाहता है.

Success Story: हिम्मत और मेहनत की मिसाल, कभी 10वीं में फेल हुए थे, आज DSP अभिषेक चौबे लाखों युवाओं के लिए बन रहे प्रेरणास्रोत
नई दिल्ली:

Success Story: जीवन में असफलताएं अक्सर हमारे सामने बड़ी दीवार की तरह खड़ी हो जाती हैं, लेकिन इन्हीं दीवारों को पार करके ही कुछ लोग अपनी सफलता की नई कहानी लिखते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण है उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के अभिषेक चौबे का, जिन्होंने 10वीं की परीक्षा में फेल होने के बाद भी अपनी मेहनत और लगन से जिंदगी में अपनी अलग पहचान बनाई. आज वे बिहार पुलिस में डिप्टी एसपी (DSP) के पद पर हैं और उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो हार मानने के बजाय संघर्ष करना चाहता है.

10वीं में असफलता से मिली जीवन की सबसे बड़ी सीख

अभिषेक की कहानी उस समय शुरू होती है जब वे 10वीं की परीक्षा में फेल हो गए थे. ये उनके लिए एक बहुत बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया. असफलता को सीख समझकर उन्होंने खुद को संभाला और अपनी कमजोरियों को दूर करने के लिए मेहनत शुरू की. कई बार मुश्किलों और निराशाओं के बीच भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को जीवित रखा. यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गई.

साल 2022 में पहली बड़ी सफलता और लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास

अभिषेक की मेहनत ने रंग तब दिखाया जब साल 2022 के अंत में उन्होंने लोक सेवा आयोग की अंकेक्षण अधिकारी (Audit Officer) की परीक्षा पास की. यह उनकी पहली बड़ी सरकारी नौकरी थी. इस नौकरी में उन्होंने न केवल अपने लिए बल्कि अन्य युवाओं के लिए भी रास्ता बनाया. समाज कल्याण विभाग के सिविल सेवा कोचिंग प्रोग्राम में वे मुख्य फैकल्टी सदस्य बने, जहां उन्होंने अनेक युवाओं को सही दिशा दी और उन्हें प्रेरित किया. अभिषेक खुद एक शिक्षक से बढ़कर एक मार्गदर्शक बन गए.

बिहार पुलिस सेवा में चयन और डिप्टी एसपी की भूमिका

अक्टूबर 2023 में अभिषेक का जीवन एक नए मुकाम पर पहुंचा जब वे बिहार पुलिस सेवा में चयनित हुए. डिप्टी एसपी के पद पर मुंगेर जिले में नियुक्ति पाकर उन्होंने पुलिस सेवा को अपनी पहली प्राथमिकता बनाया था. बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर में उन्होंने साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक साइंस, ट्रैफिक मैनेजमेंट और नए आपराधिक कानूनों की ट्रेनिंग ली. इसके अलावा तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स ट्रेनिंग सेंटर में नक्सल विरोधी अभियानों का गहन प्रशिक्षण लेकर वे अपने कर्तव्यों के लिए पूरी तरह तैयार हो गए. उनकी यह मेहनत और समर्पण उनके काम में साफ झलकता है.

जीवन के संघर्षों से मिली हिम्मत और आत्मविश्वास

अभिषेक की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयां आने पर हार मान लेना समाधान नहीं है. परिवार की जिम्मेदारियां, आर्थिक परेशानियां और मानसिक दबाव के बावजूद उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचाया. उन्होंने साबित किया कि असफलता केवल एक पड़ाव है, मंजिल नहीं। जो लोग हार मानकर बैठ जाते हैं, उन्हें अभिषेक की कहानी से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए.

प्रेरणा और संदेश

अभिषेक चौबे की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो अपनी असफलताओं से घबराता है. यह कहानी बताती है कि असफलता जीवन की सबसे बड़ी शिक्षक हो सकती है, बशर्ते हम उससे हार न मानें और निरंतर प्रयास करते रहें. अभिषेक ने यह साबित किया है कि अगर दिल में जुनून हो और मेहनत का जज्बा हो तो कोई भी बाधा आपके रास्ते में टिक नहीं सकती. हर युवा को चाहिए कि वे अपनी असफलताओं से डरें नहीं बल्कि उन्हें अपनी सफलता की सीढ़ी बनाएं.

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