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उदय की तरह आप भी मिर्च बेच कम सकते हैं लाखों रुपये, जान लें कैसे खेती ने बदली किस्मत

उदय पिछले साल जुलाई से अब तक 21 टन मिर्च बेच चुके हैं. जिसकी कीमत कभी 40 तो कभी 80 रुपए किलो तक मिली. कुल कारोबार दस लाख पार रहा.

उदय की तरह आप भी मिर्च बेच कम सकते हैं लाखों रुपये, जान लें कैसे खेती ने बदली किस्मत

बीटेक पास उदय ने यूट्यूब से उन्नत खेती कैसे करते हैं ये सीखा और मात्र 4 साल में अपनी किस्मत बदल ली. आज उनके पास अपनी पांच एकड़ के अलावा लीज पर 15 एकड़ जमीन है. मिर्च, टमाटर, मटर, पत्ता गोभी और अरहर की खेती से वे हर दिन 10 से 15 हजार रुपए कमा रहे हैं. पिछले 12 महीनों में ही उन्होंने 21 टन मिर्च बेचकर 10 लाख से ज्यादा का कारोबार किया है. उदय कुमार की सफलता की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. पॉलिटेक्निक के बाद बीटेक पूरा करने के बाद उन्हें पुणे की एक नामी कंपनी में इंजीनियर की नौकरी मिल गई. अच्छी सैलरी, रहने की सुविधा, शहर की चकाचौंध सब कुछ था. लेकिन मन नहीं लगा. मात्र 6 महीने बाद उदय ने नौकरी छोड़ दी और गांव लौट आए. 

खेती ने बदली उदय की किस्मत

उदय बताते हैं, शहर में रहते हुए भी मन गांव की मिट्टी में अटका था. मुझे लगा कि इंजीनियरिंग की डिग्री सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, बल्कि कुछ नया करने के लिए भी हो सकती है. मैंने यूट्यूब पर उन्नत खेती के वीडियो देखने शुरू किए. ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग, इंटरक्रॉपिंग, हाइब्रिड बीज - सब कुछ वहीं से सीखा. शुरुआत में झटका भी लगा. पहली फसल में तकनीकी जानकारी की कमी से करीब एक लाख रुपए का नुकसान हुआ. लेकिन रूका नहीं

उदय ने कृषि विज्ञान केंद्रों से ट्रेनिंग ली, विशेषज्ञों से सलाह ली और फिर से शुरू किया. इस बार सफलता उनके कदम पर आ गई. तीन एकड़ में मिर्च की खेती शुरू की. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप इरिगेशन के लिए 90 फीसदी तक सब्सिडी मिली. एक से सवा लाख की लागत में सिर्फ 10-15 हजार खुद लगाने पड़े. जुलाई में रोपाई की और सितंबर से ही उत्पादन शुरू हो गया.

पिछले साल जुलाई से अब तक 21 टन मिर्च बिक चुकी है. कीमत कभी 40 तो कभी 80 रुपए किलो तक मिली. कुल कारोबार दस लाख पार रहा. अब उदय का खेत देखते ही बनता है. चार एकड़ में हरी-लाल मिर्च की फसल लहलहा रही है. एक एकड़ में पत्ता गोभी और आधा एकड़ में हरी मटर तैयार है. अरहर के साथ मिर्च की इंटरक्रॉपिंग कर रहे हैं, ताकि एक ही जमीन से दोगुना मुनाफा हो. 

ये आज की युवा पीढ़ी के लिए मिसाल हैं. पढ़े-लिखे नौजवान अगर खेती की ओर आएं और तकनीक अपनाएं तो गांव भी शहर से कम नहीं रहेंगे. उदय की सफलता की चर्चा अब पूरे जिले में है.

सूर्यकांत के साथ रांची से हरिवंश शर्मा की रिपोर्ट

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