सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है. (फाइल फोटो)
खास बातें
- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मामला
- सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यीय पीठ अब करेगी सुनवाई
- 'हम किसी तरह की हिंसा नहीं चाहते'
नई दिल्ली: सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple Case) में महिलाओं के प्रवेश के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने फिलहाल सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश के लिए केरल सरकार को सुरक्षा देने का आदेश जारी करने से इंकार किया. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने सुनवाई के दौरान जल्द से जल्द 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश को लेकर 7 जजों का संविधान पीठ का गठन करने का निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम न तो यह आदेश जारी कर रहे हैं कि सभी महिलाएं मंदिर में नहीं जा सकतीं या मंदिर में जा सकती हैं. हम इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा भावनाओं से जुड़ा है. हम यहां आदेश का पालन नहीं, बल्कि अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. हम जानते हैं कि सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश का फैसला बरकरार है. यह मामला विचार के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा गया है. हम सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले को लागू कराएंगे, लेकिन आज नहीं.
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शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि हम किसी तरह की हिंसा नहीं चाहते हैं. हम विचार करने के लिए बड़ी बेंच का गठन करेंगे और सभी याचिकाओं पर विचार करेंगे. हम पहले भी कह चुके हैं कि पांच जजों की पीठ का 2018 का फैसला अंतिम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता अगर कोई सुरक्षा चाहती हैं तो उसका मूल्यांकन किया जाए और सुरक्षा दी जाए. दरअसल बिंदु अम्मिनी और फातिमा नाम की महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि सभी उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश का फैसला बरकरार है. ऐसे में सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिले. फातिमा ने अदालत से पुलिस सुरक्षा की मांग की है.
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