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प्रियंका गांधी ने परनाना नेहरू को याद करते हुए किया ट्वीट, कहा- जब नेहरू जी संतरी को अपने बिस्तर पर सोता देख, पास की कुर्सी पर...

NDTV ने प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद स्वर्गीय मौजी राम के पोते मुकेश भारद्वाज, जो फिलहाल दिल्ली पुलिस में हैं और मालवीय नगर थाने में बतौर हेड कांस्टेबल अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

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प्रियंका गांधी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बाल दिवस के मौके पर अपने पर-नाना जवाहरलाल नेहरू को याद करते हुए एक ट्वीट किया. उन्होंने इस ट्वीट में उस संतरी का जिक्र किया जिसे नेहरू जी ने अपने बिस्तर पर सोता हुआ देख कर, उसे उठाने की जगह पहले उसके ऊपर कंबल रखा और बाद में पास ही रखी आराम कर्सी पर जाकर सो गए. नेहरू जी के इस सादगी भरे अंदाज को याद करते हुए प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि मेरे पास मेरे पर-नाना से जुड़ी सबसे प्यारी याद यही है. प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में जिस संतरी का जिक्र किया है उनका नाम स्वर्गीय मौजी राम है. NDTV ने प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद स्वर्गीय मौजी राम के पोते मुकेश भारद्वाज, जो फिलहाल दिल्ली पुलिस में हैं और मालवीय नगर थाने में बतौर हेड कांस्टेबल अपनी सेवाएं दे रहे हैं, से बात की. उन्होंने बताया कि उनका परिवार तीन पीढि़यों से दिल्ली पुलिस से जुड़ा है. वह मूल रूप से दिल्ली के दरियापुर गांव से हैं. मुकेश ने अपने दादा के इस किस्से को हमसे साझा किया.

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उन्होंने बताया कि उस दौरान हुआ कुछ यूं था कि दादा जी नेहरू जी के घर पर संतरी के तौर पर ड्यूटी करते थे. इस दौरान उनका काम दूसरे कामों के साथ- साथ राजीव गांधी और संजय गांधी के साथ ही ज्यादा वक्त बीतता था. इस वजह राजीव और संजय गांधी का मौजी राम से विशेष लगाव था. मुकेश ने कहा कि दादा जी अकसर कहते थे कि नेहरू जी को एसी में सोना पसंद नहीं था जबकि इंदिरा गांधी एसी में सोना पसंद करती थी. ऐसे ही एक दिन किसी काम से मेरे दादा नेहरू जी के कमरे में किसी काम से गए. एसी काफी पहले से चल रहा था इस वजह से कमरा ठंडा हो चुका था.

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मौजी राम की फाइल फोटो

गर्मी में कमरे के अंदर इतनी ठंडक देखकर मेरे दादा ने थोड़ी देर वहीं रुकने का फैसला किया. वह नेहरू जी के बिस्तर पर थोड़ी देर बैठने के बाद कुछ देर के लिए लेट गए. इसके बाद उन्हें कब नींद आई इसका उन्हें कुछ पता नहीं चला. कुछ देर बाद वहां नेहरू जी आए. उन्होंने देखा कि उनका संतरी पहले सी ही उनके बिस्तर पर सो रहा है. नेहरू जी ने अपने संत्री को उठाने की जगह उसके ऊपर पहले कंबल डाला और अखबार लेकर पास ही आराम कुर्सी बैठ गए. कुछ देर अखबार पढ़ने के बाद नेहरू जी को भी नींद आई. कुछ देर के बाद उनके एक और संतरी ने देखा कि नेहरू जी अपने कमरे में आराम कुर्सी पर सो रहे हैं जबकि उनका संतरी  मौजी राम उनके बिस्तर पर सोया हुआ है. इसकी सूची आनन-फानन में वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई. लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह नेहरू जी के कमरे में जाकर मौजी राम को उठाए. काफी देर की मशक्कत के बाद किसी तरह से मौजी राम को उठाया गया.

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बाद में मौजी राम को विभागीय कार्यवाई करते हुए टर्मिनेट कर दिया गया . कुछ दिन तक जब मौजी राम नेहरू जी के घर पर नहीं आए तो इंदिरा गांधी ने उनके बारे में पूछना शुरू किया. उन्होंने नेहरू जी से पूछा कि क्या आपने उस संतरी (मौजी राम) को नौकरी से निकाल दिया है. इसपर नेहरू जी ने जवाब दिया, बिल्कुल भी नहीं. इसके बाद दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को विशेष रूप से मौजी राम को वापस बुलाने के लिए उनके गांव भेजा गया. गांव में दिल्ली पुलिस की एक ट्रक आई तो गांव वालों में हड़कंप मच गया.

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खुद मौजी राम घर से निकल पास के खेत में बने एक झोपड़े में जा छिपे. उन्हें लगा कि पुलिस ने उन्हें पकड़ने आई है उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया जाएगा. बाद में पुलिस वालों ने गांवों के बुजुर्ग लोगों को समझाया कि नेहरू जी ने मौजी राम को दोबारा नौकरी पर बुलाने के लिए भेजा है. मौज राम के साथ गांव के कुछ बुजुर्ग साथ गए, और तभी गांव वापस आए जब मौज राम ने नौकरी ज्वाइन नहीं कर ली.

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