नई दिल्ली:
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है. वाम दलों के सूत्रों ने सोमवार रात यह बात कही. गैर एनडीए दलों के 22 जून को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक करने की उम्मीद है.
सूत्रों के अनुसार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, भारिपा बहुजन महासंघ के नेता और डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और सेवानिवृत्त नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी और कुछ अन्य नामों पर विपक्षी पार्टियां विचार कर रही हैं.
सूत्रों ने यह भी कहा कि कोविंद को प्रत्याशी बनाने के भाजपा के फैसले से विपक्षी दलों को आश्चर्य नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए, क्योंकि भाजपा पहली बार चुनाव जीतने के काफी करीब है और वह इस अवसर को नहीं जाने देगी.
एक सूत्र ने बताया, 'हम चुनाव लड़ेंगे. हम महसूस करते हैं कि एक संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार होना चाहिए. चूंकि, भाजपा ने एक दलित को नामित किया है, इसलिए विपक्षी पार्टियां उसी तर्ज पर अपने आम सहमति के उम्मीदवार को अंतिम रूप दे सकती हैं.' भाजपा ने हाल में दलितों पर हमले के मद्देनजर अगले आम चुनावों से पहले संभवत: अपनी छवि को दुरुस्त करने के मकसद से एकतरफा तरीके से राजनैतिक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश से अपने उम्मीदवार को चुना. उन्होंने कहा कि विपक्ष में एकता है.
उन्होंने कहा कि कोविंद के नाम की घोषणा से पहले विपक्षी पार्टियों ने किसी आदिवासी को अपना उम्मीदवार बनाने के बारे में सोचा था. सूत्र ने बताया, 'ऐसी चर्चा चल रही थी कि राजग झारखंड की राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बना सकता है. अब चूंकि, उन्होंने एक दलित नेता को अपना प्रत्याशी बनाया है, इसलिए समीकरण बिल्कुल अलग हो गए हैं.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सूत्रों के अनुसार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, भारिपा बहुजन महासंघ के नेता और डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और सेवानिवृत्त नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी और कुछ अन्य नामों पर विपक्षी पार्टियां विचार कर रही हैं.
सूत्रों ने यह भी कहा कि कोविंद को प्रत्याशी बनाने के भाजपा के फैसले से विपक्षी दलों को आश्चर्य नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए, क्योंकि भाजपा पहली बार चुनाव जीतने के काफी करीब है और वह इस अवसर को नहीं जाने देगी.
एक सूत्र ने बताया, 'हम चुनाव लड़ेंगे. हम महसूस करते हैं कि एक संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार होना चाहिए. चूंकि, भाजपा ने एक दलित को नामित किया है, इसलिए विपक्षी पार्टियां उसी तर्ज पर अपने आम सहमति के उम्मीदवार को अंतिम रूप दे सकती हैं.' भाजपा ने हाल में दलितों पर हमले के मद्देनजर अगले आम चुनावों से पहले संभवत: अपनी छवि को दुरुस्त करने के मकसद से एकतरफा तरीके से राजनैतिक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश से अपने उम्मीदवार को चुना. उन्होंने कहा कि विपक्ष में एकता है.
उन्होंने कहा कि कोविंद के नाम की घोषणा से पहले विपक्षी पार्टियों ने किसी आदिवासी को अपना उम्मीदवार बनाने के बारे में सोचा था. सूत्र ने बताया, 'ऐसी चर्चा चल रही थी कि राजग झारखंड की राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बना सकता है. अब चूंकि, उन्होंने एक दलित नेता को अपना प्रत्याशी बनाया है, इसलिए समीकरण बिल्कुल अलग हो गए हैं.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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