'हाई स्पीड बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में न्यायिक हस्तक्षेप राष्ट्रहित में नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का आदेश

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस  एएस बोपन्ना की पीठ ने सोमवार को ये फैसला सुनाया. पीठ ने कहा कि ये परियोजना 'राष्ट्रीय महत्व' की है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के अगस्त 2021 में दिए गए फैसले को भी रद्द कर दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने सोमवार को ये फैसला सुनाया.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाई स्पीड बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (High Speed Bullet Train Project) पर अहम टिप्पणी की है और कहा है कि द्विपक्षीय समझौते पर विदेशी फंडिंग वाली मेगा परियोजनाओं में न्यायिक हस्तक्षेप राष्ट्रहित में नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इससे प्रोजेक्ट में देरी होगी जो व्यापक जनहित में नहीं हो सकता है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHDRCL) को मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के संबंध में एक डिपो बनाने और विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी मोंटेकार्लो लिमिटेड की बोली पर विचार करने का निर्देश दिया गया था.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस  एएस बोपन्ना की पीठ ने सोमवार को ये फैसला सुनाया. पीठ ने कहा कि ये परियोजना 'राष्ट्रीय महत्व' की है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के अगस्त 2021 में दिए गए फैसले को भी रद्द कर दिया है. पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अदालतों द्वारा इस तरह का हस्तक्षेप और इस तरह की परियोजनाओं में देरी, जो विकसित देश द्वारा विकासशील देश के लिए द्विपक्षीय समझौते पर विदेशी देशों द्वारा वित्त पोषित हैं, भविष्य के निवेश या फंडिंग को प्रभावित कर सकते हैं.

हिंदुओं को इन राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा देने की याचिका पर केंद्र ने नहीं दिया जवाब, सुप्रीम कोर्ट नाराज

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की किसी मेगा परियोजना भारत जैसे विकासशील देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. ऐसे में इनमें देरी व्यापक जनहित और राष्ट्र हित में नहीं हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट को इस बात की सराहना करनी चाहिए थी कि हमेशा यह सलाह दी जाती रही है कि इस तरह की विदेशी फंडिंग वाली मेगा परियोजना में देरी का व्यापक प्रभाव हो सकता है. 

कोर्ट ने कहा कि कई बार परियोजनाओं में देरी के कारण वित्तीय बोझ पड़ता है. इसलिए निविदा प्रक्रिया या अनुबंध के पूरा होने तक न्यूनतम हस्तक्षेप या कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. पीठ ने कहा कि एक विकासशील देश के लिए इतनी ऊंची लागत वाली परियोजना को आगे बढ़ाना मुश्किल है जब तक कि विकसित देश फंड देने के लिए तैयार न हो. खासकर तब जब विकसित देश न्यूनतम रियायती ब्याज दर पर बड़ी राशि देने के लिए तैयार हो.

तरुण तेजपाल मामले में दूसरे जज ने भी खुद को किया अलग, अब सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ललित नहीं करेंगे सुनवाई

दरअसल, NHDRCL ने मोंटेकार्लो की बोली को अस्वीकार कर दिया था और SCCVRS- JV को ठेका दिया था. मोंटेकार्लो ने तब दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मोंटेकार्लो ने अपनी याचिका में कहा था कि बोली को खारिज करते समय कोई कारण नहीं बताया गया था. 

Advertisement

गौरतलब है कि बुलेट ट्रेन परियोजना जापान के साथ साझेदारी में 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी इस परियोजना के 2022 तक 1.10 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से पूरा होने की उम्मीद थी. यह बताया गया है कि परियोजना के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में लगभग 1400 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा. लगभग 6000 लोगों को मुआवजा देना होगा.

बुलेट ट्रेन से भारत को क्‍या होगा लाभ?

2019 में गुजरात हाईकोर्ट ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली किसानों और भूमालिकों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं को खारिज कर दिया था. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Syed Suhail | Bharat Ki Baat Batata Hoon | Umar ने 'जूते वाले बम' से खुद को कैसे उड़ाया, समझिए