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बिहार: एक महीने पहले ही नौकरशाहों को सियासी उलटफेर के मिल गए थे संकेत

सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक महीने से नीतीश कुमार ने कोई बड़ी बैठक आयोजित नहीं की थी.

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नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्‍व वाले महागठबंधन सरकार के सियासी उलटफेर के बारे में ही पहले ही वरिष्‍ठ नौकरशाहों को संकेत मिल गए थे. सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक महीने से नीतीश कुमार ने कोई बड़ी बैठक आयोजित नहीं की थी. यह इसलिए थोड़ी आश्‍चर्यजनक बात थी क्‍योंकि नीतीश कुमार लगभग हर सप्‍ताह वरिष्‍ठ अधिकारियों से मिलते हैं और सरकारी योजनाओं के अमलीजामा के संबंध में फीडबैक लेते रहते हैं.

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नीतीश ने जोड़ा एनडीए से नाता
इससे पहले शुक्रवार को नीतीश कुमार के नेतृत्‍व में बिहार में एनडीए की नई सरकार ने विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया. नीतीश के पक्ष में 131 वोट पड़े और विरोध में 108 वोट पड़े. राजद ने सदन से वॉकआउट किया और सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई है. नीतीश कुमार ने एक बार फिर दोहराया है कि जो किया बिहार के लिए किया. अब राज्य और केंद्र में एक ही सरकार होगी.

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आरजेडी की नाराजगी
इस दौरान विधानसभा के बाहर और अंदर RJD और कांग्रेस ने जमकर नारेबाजी की. विश्वासमत को लेकर तेजस्वी ने कहा कि अगर गुप्त मतदान होता तो नीतीश हार जाते. हमने अध्यक्ष से मांग की थी, लेकिन इसे नहीं माना गया. विधायकों को सीएम आवास में कैद रखा गया. आखिर एक मंजे हुए खिलाड़ी ने आरएसएस और बीजेपी के सामने घुटने टेक दिए हैं. नीतीश कुमार बीजेपी की गोद में जाकर बैठ गए हैं. उनके फैसले से बिहार की जनता आहत है. हम जनता के बीच जाकर सब कुछ बताएंगे.
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