प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने शुक्रवार को पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की उस अर्जी का विरोध किया जिसमें मामले आवंटित करने की भारत के प्रधान न्यायाधीश ( सीजेआई ) की अनन्य शक्ति उनसे वापस लेने की मांग की गई है. वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि मामले आवंटित करने की शक्ति अन्य न्यायाधीशों को देने की कोशिश से ‘अराजकता ’ पैदा हो जाएगी. वेणुगोपाल ने शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों में ‘एकता’ की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मामले आवंटित करने की शक्ति पांच सदस्यीय कोलेजियम को देने की भूषण की मांग से न्यायाधीशों के बीच ‘टकराव’ पैदा होगा कि कौन किस मामले को सुनेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इससे प्राधिकारियों की बहुलता भी हो जाएगी.
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मामलों के आवंटन पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के बीच मतभेद गत 12 जनवरी को तब सामने आया था जब चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे को उठाया था. भूषण के ‘ मास्टर ऑफ दि रोस्टर ’ के तौर पर सीजेआई की शक्ति को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने से यह मामला अदालत में पहुंचा. वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति ए के सीकरी और अशोक भूषण की पीठ को बताया कि उच्चतम न्यायालय में पीठों का गठन और मामलों का आवंटन ऐसी कवायद नहीं है कि जिसे ढेर सारे लोग मिलकर करें और यदि किसी एक व्यक्ति को यह तय करना है तो वह सीजेआई हैं.
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अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यदि कॉलेजियम या पूर्ण पीठ को यह शक्ति दे दी जाती है तो यह कभी खत्म नहीं होने वाली कवायद होगी जिससे यह भी संभव है कि न्यायाधीशों के बीच एकता नहीं रहे. उच्चतम न्यायालय में न्याय के लिए न्यायाधीशों की एकता की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि एक ही आदमी इस काम को करे और यदि वह एक आदमी कोई होगा तो सीजेआई ही होगा.
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पीठ ने इसके बाद सीजेआई द्वारा मामलों के आवंटन की मौजूदा रोस्टर व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. इससे पहले , न्यायालय ने वेणुगोपाल से इस मामले में मदद करने के लिए कहा था. (इनपुट भाषा से)
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मामलों के आवंटन पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के बीच मतभेद गत 12 जनवरी को तब सामने आया था जब चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे को उठाया था. भूषण के ‘ मास्टर ऑफ दि रोस्टर ’ के तौर पर सीजेआई की शक्ति को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने से यह मामला अदालत में पहुंचा. वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति ए के सीकरी और अशोक भूषण की पीठ को बताया कि उच्चतम न्यायालय में पीठों का गठन और मामलों का आवंटन ऐसी कवायद नहीं है कि जिसे ढेर सारे लोग मिलकर करें और यदि किसी एक व्यक्ति को यह तय करना है तो वह सीजेआई हैं.
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अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यदि कॉलेजियम या पूर्ण पीठ को यह शक्ति दे दी जाती है तो यह कभी खत्म नहीं होने वाली कवायद होगी जिससे यह भी संभव है कि न्यायाधीशों के बीच एकता नहीं रहे. उच्चतम न्यायालय में न्याय के लिए न्यायाधीशों की एकता की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि एक ही आदमी इस काम को करे और यदि वह एक आदमी कोई होगा तो सीजेआई ही होगा.
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पीठ ने इसके बाद सीजेआई द्वारा मामलों के आवंटन की मौजूदा रोस्टर व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. इससे पहले , न्यायालय ने वेणुगोपाल से इस मामले में मदद करने के लिए कहा था. (इनपुट भाषा से)
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