शशि थरूर (फाइल फोटो)
मुंबई:
नोटबंदी के मुद्दे पर केंद्र पर बरसते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि लोगों से यह कहना उनकी निजी पसंद में दखअंलदाजी की हद थी कि वे अपने ही बैंक खातों में रखे पैसे नहीं हासिल कर सकते. कल शाम एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जीएसटी लागू करने के तौर-तरीके को लेकर भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा. हालांकि, उन्होंने कहा कि एक देश एक कर एक 'महान विचार' था.
'टाटा लिटरेचर लाइव' के आठवें संस्करण में 'वी आर लीविंग इन ए नैनी स्टेट' विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान थरूर ने कहा कि नोटबंदी लोगों को यह बताने की कवायद थी कि वे कौन से नोट रख सकते हैं. सरकार का आपसे यह कहना कि आप अपने ही खाते में रखे पैसे हासिल नहीं कर सकते, यह लोगों की निजी पसंद में दखलंदाजी की हद थी.'
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इस परिचर्चा की अध्यक्षता जाने-माने पत्रकार वीर सांघवी ने की. थरूर और जेएनयू के प्रोफेसर मकरंद परांजपे परिचर्चा विषय के पक्ष में बोल रहे थे जबकि वरिष्ठ पत्रकार चंदन मित्रा और उद्योगपति सुनील अलग विषय के विपक्ष में बोल रहे थे. थरूर ने कहा कि जीएसटी की मंशा बहुत अच्छी थी. एक देश एक कर एक महान विचार है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर इस सरकार ने जो किया है, उससे सरकार और नौकरशाहों के लिए तो कुछ बना है, पर लोगों को इससे मदद नहीं मिलेगी.
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कांग्रेस नेता ने कहा कि एक देश एक कर की बजाय हमें तीन कर दिए गए हैं, इसके भीतर छह स्लैब हैं और साल में 37 फॉर्म भरने हैं. आपके ऊपर एक ऐसी सरकार बैठी है जो आपके हर मामले में दखल दे रही है. उन्होंने बीफ पर पाबंदी की आलोचना करते हुए कहा कि इसने सिर्फ महाराष्ट्र में लाखों लोगों की रोजी-रोटी बर्बाद कर दी. थरूर ने मलयालम फिल्म 'एस दुर्गा' और मराठी फिल्म 'न्यूड' को गोवा में होने जा रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के 48वें संस्करण से वापस लेने पर पैदा हुए विवाद का भी जिक्र किया और कहा कि सेंसरशिप एक और उदाहरण है, जहां आपने हाल ही में खबरों में देखा कि जूरी ने नहीं बल्कि सरकार ने दो फिल्में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव से वापस ले ली.'
VIDEO: कन्हैया को भगत सिंह जैसा बताए जाने पर शशि थरूर की लगी क्लास (इनपुट भाषा से)
'टाटा लिटरेचर लाइव' के आठवें संस्करण में 'वी आर लीविंग इन ए नैनी स्टेट' विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान थरूर ने कहा कि नोटबंदी लोगों को यह बताने की कवायद थी कि वे कौन से नोट रख सकते हैं. सरकार का आपसे यह कहना कि आप अपने ही खाते में रखे पैसे हासिल नहीं कर सकते, यह लोगों की निजी पसंद में दखलंदाजी की हद थी.'
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इस परिचर्चा की अध्यक्षता जाने-माने पत्रकार वीर सांघवी ने की. थरूर और जेएनयू के प्रोफेसर मकरंद परांजपे परिचर्चा विषय के पक्ष में बोल रहे थे जबकि वरिष्ठ पत्रकार चंदन मित्रा और उद्योगपति सुनील अलग विषय के विपक्ष में बोल रहे थे. थरूर ने कहा कि जीएसटी की मंशा बहुत अच्छी थी. एक देश एक कर एक महान विचार है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर इस सरकार ने जो किया है, उससे सरकार और नौकरशाहों के लिए तो कुछ बना है, पर लोगों को इससे मदद नहीं मिलेगी.
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कांग्रेस नेता ने कहा कि एक देश एक कर की बजाय हमें तीन कर दिए गए हैं, इसके भीतर छह स्लैब हैं और साल में 37 फॉर्म भरने हैं. आपके ऊपर एक ऐसी सरकार बैठी है जो आपके हर मामले में दखल दे रही है. उन्होंने बीफ पर पाबंदी की आलोचना करते हुए कहा कि इसने सिर्फ महाराष्ट्र में लाखों लोगों की रोजी-रोटी बर्बाद कर दी. थरूर ने मलयालम फिल्म 'एस दुर्गा' और मराठी फिल्म 'न्यूड' को गोवा में होने जा रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के 48वें संस्करण से वापस लेने पर पैदा हुए विवाद का भी जिक्र किया और कहा कि सेंसरशिप एक और उदाहरण है, जहां आपने हाल ही में खबरों में देखा कि जूरी ने नहीं बल्कि सरकार ने दो फिल्में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव से वापस ले ली.'
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