Covid-19 Vaccination: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के खिलाफ जंग में डटे स्वास्थ्यकर्मियों को सबसे पहले वैक्सीन दो जा रही है. यह हेल्थवर्कर्स के लिए सरकार का सबसे अहम कदम रहा लेकिन कई स्वास्थ्यकर्मी अभी भी टीके के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में महाराष्ट्र (Maharastra) से अब इन पर टीके के लिए दबाव बनाने की ख़बर आ रही है. आरोप है कि दबाव भी यह है कि या टीका लो नहीं तो काम छोड़ो. महाराष्ट्र के अमरावती ज़िले (Amrawati District) से सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों के बने एक Whats App ग्रुप पर मराठी भाषा में भेजा गया एक संदेश इस समय चर्चा में है. ''कृपया ध्यान दें...आज हर एक स्टाफ़ को कोविड वैक्सीन लेना अनिवार्य है. जो स्टाफ़ वैक्सीन लेने से मना करेगा, उनको काम से निकाल दिया जाएगा. तुरंत इंचार्ज सिस्टर से सम्पर्क करें. सम्पर्क नहीं किया तो हम ऐसा समझेंगे कि आपको काम की ज़रूरत नहीं है. आदेशानुसार'..''
कोरोना से स्वस्थ हो चुके मरीजों में वायरस के नए स्ट्रेन को भी निष्क्रिय करने की क्षमता
संदेश भेजने वाली खुद स्टाफ़ नर्स बताई जा रही है.पहचान छुपाते हुए एक स्वास्थ्यकर्मी कहती है कि हेल्थवर्कर पर टीका लेने का दबाव है. नाम उजागर न करने की शर्त पर इस स्वास्थ्यकर्मी ने कहा, ''कोविड वैक्सीन जब से आया है, तब से हम सभी को बोला जा रहा है कि कोविड वैक्सीन आप सभी को लेना है, हम पर इतना दबाव डाला जा रहा है कि हमारे अधिकारी, हमारे यूनिट के लोग हमको धमकियां देते हैं कि अगर आप वैक्सीन नहीं ले रहे हैं तो आपको काम से निकाला जाएगा.'' यूनाइटेड नर्सिंग एसोसिएशन के महाराष्ट्र प्रेसिडेंट, जिबिन टीसी ने भी बयान जारी करते हुए कहा है कि कई अलग-अलग क्षेत्रों से नर्सेज़ टीके को लेकर दबाव की शिकायत कर रही हैं. जिबिन टीसी कहती हैं, ''कई नर्सेज़ के हमें कॉल आए, जितनों से भी बात की उनकी शिकायत है कि उनके अस्पतालों में उनके अधिकारी उन पर दबाव बना रहे हैं, वैक्सीन नहीं लिया तो उनके पर एक्शन लेने की बात हो रही है. ऐसी खबर हमारे पास आयी है. सरकार ने तो साफ़ कहा है कि ये स्वैच्छिक है जिनको लेना है लें, नहीं तो मना कर सकते हैं, लेकिन ये अधिकारी लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं समझ नहीं आ रहा. सरकार कृपया इसको देखे, इसके बारे में हमारे पास कई शिकायतें पहुंची हैं.''
सात और राज्य अगले सप्ताह से Covaxin टीका लगाएंगे: स्वास्थ्य मंत्रालय
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट और क्लीनिकल नर्सिंग एंड रिसर्च सोसायटी की वाइस प्रेसिडेंट डॉ स्वाति राणे ने स्वास्थ्यकर्मियों के वैक्सीन को लेकर डर का कारण बताते हुए कहा, ‘' कोरोना वैक्सीन को लेकर और इसके साइड इफ़ेक्ट को लेकर जो जानकारियां हेल्थकेयर वर्कर को मिलना चाहिए, उन्हें लेकर सरकार अभी तक पहुँच नहीं पाई है. इस पर काम ज़रूरी है, कई हेल्थकेयर वर्कर ने ये भी पूछा है कि ये वैक्सीन हमको कब तक हेल्प करेगा? बेसिक सवाल पर भी क्लैरिटी नहीं है.'' अमरावती ज़िले के सिविल सर्जन डॉ. एस.निकम बताते हैं कि वे खुद वैक्सीन ले चुके हैं. उन्होंने कहा कि किसी स्वास्थ्यकर्मी पर टीका लेने का दबाव नहीं डाला जा रहा बल्कि उनके सवालों को दूर करने के लिए उनकी काउंसिलिंग हो रही है. डॉ. निकम ने कहा, ‘'सिविल सर्जन होने के नाते मैं खुद वैक्सीन ले चुका हूं. हमारे जो कर्मचारी हैं अभी तक उनमें से 450 के क़रीब लोगों ने वैक्सीन लिया है. हम किसी पर दबाव नहीं डाल रहे हैं,सिर्फ़ उनकी काउंसिलिंग कर रहे हैं कि वैक्सीन लेना क्यों ज़रूरी है. बहुत सारे लोग काउंसिलिंग के माध्यम से तैयार हो रहे हैं.''
महाराष्ट्र में अब तक 99,300 ने लगवाया टीका
महाराष्ट्र में टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से अब तक 99,300 स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस का टीका लगाया गया है, कई जिलों ने अब तक 100 प्रतिशत टीकाकरण लक्ष्य हासिल किया है पर क्या लक्ष्य का पीछा करते हुए, स्वास्थ्यकर्मियों पर दबाव बनाया जा रहा है? राज्य में अब ये सवाल उठने लगे हैं.
क्या कोरोना वायरस वैक्सीन के साइड इफेक्ट से डरे हुए हैं लोग
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