
देश मे कोरोना टीकाकरण अभियान चल रहा है जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम है. लेकिन इस टीकाकरण अभियान में लगाई जा रही वैक्सीन के बारे में केंद्र सरकार ने जो दावा मंगलवार को किया वो पहली बार किया गया. केंद्र सरकार का कहना है आप वैक्सीन लेंगे तो आपको कोरोना संक्रमण नहीं होगा और अगर आप यह वैक्सीन लेंगे तो आपकी कोरोना से मौत नहीं होगी.
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ICMR के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा ' यह बहुत साफ है कि दोनों वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं. मैं केवल तीन बात कहना चाहूंगा- पहली- वैक्सीन की वजह से कोविड-19 नहीं होता. दूसरी- वैक्सीन से कोविड-19 की रोकथाम होती है ये बहुत साफ़ है और तीसरी बात- वैक्सीन कोविड-19 से होने वाली मौत की रोकथाम होती है ये बहुत महत्वपूर्ण है. इसलिए वैक्सीन लेने का समय अभी है.'
इससे पहले अभी तक केंद्र सरकार या स्वास्थ्य मंत्रालय ने वैक्सीन के बारे में यह कहा था कि इसके इस्तेमाल से हमें कोरोना संक्रमण की ट्रांसमिशन चेन तोड़ने में मदद मिलेगी लेकिन यह बात कभी स्पष्ट तौर पर नहीं कही थी कि वैक्सीन लगवाने के बाद आपको कोरोना नहीं होगा
कुछ हेल्थकेयर वर्कर्स का वैक्सीन लेने से इनकार परेशान करने वाला
केंद्र सरकार इस बात से चिंतित है कि स्वास्थ्य कर्मियों में वैक्सीन के प्रति एक हिचक है जिसके चलते बहुत से स्वास्थ्य कर्मी वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मंगलवार को नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा 'अगर आप वैक्सीन लगाए जाने की प्राथमिकता के लिस्ट में हैं और फिर भी आप वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं तो आप समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह एक बहुत बड़ा मुद्दा बना हुआ है कि कैसे प्राथमिकता वाले ग्रुप को वैक्सीन मिल पाएगी और यहां पर (भारत मे) देश ने वैक्सीन बना दी अपने दम पर बनाई बहुत अच्छी वैक्सीन बनाई दो-दो वैक्सीन बनाई और व्यवस्था ने आपके दरवाजे तक वैक्सीन पहुंचा दी और फिर अगर हम वैक्सीन नहीं ले रहे हैं और खासतौर से हमारे स्वास्थ्य कर्मी हमारे डॉक्टर और नर्स अगर लेने से मना कर रहे हैं तो बहुत दुख की बात है. मैं सरकार की तरफ से अपील करूंगा कि कृपया इसको अपनाइए क्योंकि इस वैश्विक महामारी ने आगे क्या रूप लेना है यह किसी को मालूम नहीं है.
डॉ वीके पॉल ने कहा कि वैक्सीन के प्रति हिचक खत्म होनी चाहिए. डॉ पॉल ने कहा कि हमको अपनी नॉन कोविड-19 सेवाएं शुरू करनी है और उसके लिए यह जरूरी है कि स्वास्थ्य कर्मियों के मन में यह बात ना आए कि मुझे कोविड हो जाएगा.
ना के बराबर हैं विपरीत घटनाएं (AEFI)
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने जानकारी दी कि सोमवार तक हुए टीकाकरण के दौरान कुल 0.18% AEFI मामले दर्ज हुए. यानि कुल टीकाकरण के 0.18% मामलों में टीका लगाने के बाद प्रतिकूल घटनाएं दर्ज की गई. जबकि 0.002% मामलों में टीका लगवाने वाले व्यक्ति अस्पताल में एडमिट करवाने पड़े. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि 'AEFI तीन श्रेणी के होते हैं. मामूली, गंभीर और अति गंभीर. हमें इस धारणा को दूर करना होगा कि AEFI का मतलब है कि व्यक्ति बेसुध हो गया या हॉस्पिटलाइज्ड हो गया. अगर टीका लगवाने के बाद अगर मैं रोने लग जाऊं जो दिखाता है कि मैं मुझे चिंता हो रही है तो उसको भी AEFI में रिकॉर्ड किया जाता है. वैसे भी आंकड़ा बढ़ सकता है लेकिन यह 10-15 मिनट बाद खत्म हो जाता है हो सकता है कि चाय कॉफी पीने के बाद यह समाप्त हो जाए. तो AEFI की ये रेंज है'
इस बारे में बोलते हुए नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि अगर आप मॉडर्ना और फाइजर के अति गंभीर AEFI देखेंगे तो वो 0.6% हैं जबकि हमारे यहां तो कुल AEFI ही 0.18% हैं और हॉस्पिटलाइजेशन वाले तो और भी बहुत कम है. तो इस हिसाब से हम कह सकते हैं कि विपरीत घटनाएं हमारे यहां बिल्कुल नगण्य हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं