अहमद पटेल (फाइल फोटो)
उपराष्ट्रपति चुनावों के बाद आठ अगस्त को होने जा रहे राज्यसभा चुनाव पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं. वैसे तो राज्यसभा चुनाव कभी सुर्खियों का सबब नहीं बनते लेकिन इस बार एक राज्यसभा सीट पर चुनाव का मामला बेहद दिलचस्प हो गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीट के लिए सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल चुनाव लड़ रहे हैं. वह पांचवीं बार राज्यसभा जाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने उनको घेरने के लिए पूरी रणनीति बनाई है. अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि आखिर अहमद पटेल को हराने से बीजेपी को क्या फायदा होगा? जानें 5 बातें:
1. पीएम नरेंद्र मोदी के केंद्र की सत्ता में जाने के बाद पहली बार गुजरात में चुनाव होने जा रहे हैं. इस दौरान गुजरात में पाटीदारों से लेकर दलितों तक के आंदोलन हुए हैं. इससे एक संदेश यह गया है कि बीजेपी की स्थिति कुछ कमजोर हुई है.
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2. बीजेपी के कमजोर होने का सीधा लाभ कांग्रेस को मिल सकता है. इसी साल के आखिर में राज्य विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. लिहाजा यदि अहमद पटेल हारते हैं तो यह कांग्रेस के लिए मनोवैज्ञानिक लिहाज से बड़ा झटका होगा.
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3. इसी कड़ी में गुजरात के कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस छोड़ दी है. कांग्रेस के छह विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. गुजरात की तीन सीटों के लिए होने वाले राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस से बागी बलवंत सिंह राजपूत ने चुनावी मैदान में खड़े होकर अहमद पटेल की राह मुश्किल कर दी है. बाकी दो सीटों पर बीजेपी नेता अमित शाह और स्मृति ईरानी की आसान जीत तय है. संख्याबल के लिहाज से कांग्रेस को बस एक ही सीट मिलनी थी लेकिन वाघेला के समधी राजपूत के मैदान में उतरने से मामला फंस गया है.
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4. इससे राज्य में यह संदेश जा रहा है कि गुजरात कांग्रेस की स्थिति कमजोर है. पार्टी में भितरघात का माहौल है. ऐसे में यदि अहमद पटेल हार जाते हैं और पार्टी मजबूत विकल्प के अभाव में कमजोर मनोबल के साथ यदि विधानसभा चुनाव में उतरती है तो वह बीजेपी को टक्कर देने की स्थिति में नहीं होगी.
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VIDEO: राज्यसभा चुनाव का रोचक मुकाबला
5. बीजेपी ने 193 सदस्यीय विधानसभा में 150 सीटों के जीतने का लक्ष्य रखा है. 1985 में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 149 सीटें जीतने का रिकॉर्ड बनाया था. उसको अभी तक तोड़ा नहीं जा सका है. इस लिहाज से यदि कमजोर कांग्रेस को घेरकर बीजेपी अपने लक्ष्य को हासिल कर लेती है तो 2019 के लोकसभा चुनावों के लिहाज से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की राह आसान होगी. इसके विपरीत यदि बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहता है तो राष्ट्रीय राजनीति में उसका असर दिखेगा जोकि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को असहज कर सकता है.
1. पीएम नरेंद्र मोदी के केंद्र की सत्ता में जाने के बाद पहली बार गुजरात में चुनाव होने जा रहे हैं. इस दौरान गुजरात में पाटीदारों से लेकर दलितों तक के आंदोलन हुए हैं. इससे एक संदेश यह गया है कि बीजेपी की स्थिति कुछ कमजोर हुई है.
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2. बीजेपी के कमजोर होने का सीधा लाभ कांग्रेस को मिल सकता है. इसी साल के आखिर में राज्य विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. लिहाजा यदि अहमद पटेल हारते हैं तो यह कांग्रेस के लिए मनोवैज्ञानिक लिहाज से बड़ा झटका होगा.
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3. इसी कड़ी में गुजरात के कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस छोड़ दी है. कांग्रेस के छह विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. गुजरात की तीन सीटों के लिए होने वाले राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस से बागी बलवंत सिंह राजपूत ने चुनावी मैदान में खड़े होकर अहमद पटेल की राह मुश्किल कर दी है. बाकी दो सीटों पर बीजेपी नेता अमित शाह और स्मृति ईरानी की आसान जीत तय है. संख्याबल के लिहाज से कांग्रेस को बस एक ही सीट मिलनी थी लेकिन वाघेला के समधी राजपूत के मैदान में उतरने से मामला फंस गया है.
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4. इससे राज्य में यह संदेश जा रहा है कि गुजरात कांग्रेस की स्थिति कमजोर है. पार्टी में भितरघात का माहौल है. ऐसे में यदि अहमद पटेल हार जाते हैं और पार्टी मजबूत विकल्प के अभाव में कमजोर मनोबल के साथ यदि विधानसभा चुनाव में उतरती है तो वह बीजेपी को टक्कर देने की स्थिति में नहीं होगी.
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5. बीजेपी ने 193 सदस्यीय विधानसभा में 150 सीटों के जीतने का लक्ष्य रखा है. 1985 में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 149 सीटें जीतने का रिकॉर्ड बनाया था. उसको अभी तक तोड़ा नहीं जा सका है. इस लिहाज से यदि कमजोर कांग्रेस को घेरकर बीजेपी अपने लक्ष्य को हासिल कर लेती है तो 2019 के लोकसभा चुनावों के लिहाज से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की राह आसान होगी. इसके विपरीत यदि बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहता है तो राष्ट्रीय राजनीति में उसका असर दिखेगा जोकि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को असहज कर सकता है.
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