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This Article is From Jan 06, 2016

NDTV के नोबेल सॉल्यूशन समिट में नोबेल विजेता, इंटरनेट लोकतांत्रिक और खतरनाक दोनों है

NDTV के नोबेल सॉल्यूशन समिट में नोबेल विजेता, इंटरनेट लोकतांत्रिक और खतरनाक दोनों है
नई दिल्ली: एनडीटीवी के खास कार्यक्रम में नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने कहा है कि आज के समय में सोशल मीडिया के कारण 'भीड़ के शासन' को तुरंत अभिव्यक्ति मिलती है। उन्होंने यह भी कहा कि इंटरनेट 'खतरनाक और लोकतांत्रिक दोनों' मंच मुहैया कराता है।

सोशल मीडिया पर भीड़ का शासन कहीं ज्यादा तेजी से अभिव्यक्त
साल 2009 में रसायनशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए गए वी रामकृष्णन ने एनडीटीवी के नोबेल सॉल्यूशन समिट में कहा, 'भीड़ तो इंटरनेट से पहले भी हुआ करती थी, लेकिन अब सोशल मीडिया के कारण भीड़ का शासन कहीं ज्यादा तेजी से अभिव्यक्त होता है। मेरे लिए तो यह एक खतरा है। भीड़ की अपनी चाल होती है।' वी रामकृष्णन ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन, डेविड ट्रिंबल और ऑर्थर मैक्डोनाल्ड से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। वे इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि क्या इंटरनेट लोकतांत्रिक और खतरनाक दोनों है।

इंटरनेट पर सरकारी बंदिशों की भूमिका के बारे में रामकृष्णन ने कहा, 'इंटरनेट हर तरह के मूर्खों को मदद करता है। इसमें बदतमीजी करने वाले भी होते हैं। आतंकवादियों को साथ आने के मौके मिलते हैं। वे खतरनाक और असामाजिक व्यवहारों का प्रचार-प्रसार करते हैं और फिर सरकार को सेंसरशिप और निजता, इंटरनेट के प्रवाह पर सख्ती से पेश आना पड़ता है।'

सरकार के रुख से निराशा
वहीं अमर्त्य सेन ने कहा कि हर सरकार अगला चुनाव जीतना चाहती है, लिहाजा यह देखकर थोड़ी निराशा हो जाती है कि वह किस तरह की बातचीत या संवाद को बढ़ावा दे रही है। सेन ने कहा, 'मेरे लिए यह संवाद कुछ हद तक राज्य और सरकार के बीच का फर्क है। यह सरकार की उतनी जिम्मेदारी नहीं जितनी राज्य की जिम्मेदारी है। राज्य के तहत न्यायपालिका, कानून, आप और मैं सब आते हैं जो सार्वजनिक बहस और परिचर्चा में हिस्सा लेते हैं।'

सरकारों के लिए एक कुटिल संतुलन
वहीं रामकृष्णन ने कहा कि इंटरनेट सेवाओं के आसपास मंडरा रही चर्चा 'सरकारों के लिए एक कुटिल संतुलन' है, क्योंकि अगर वे इंटरनेट पर पूरी तरह सख्ती से पेश आने का रास्ता चुनेंगे तो खतरा यह हो सकता है कि सरकारें ज्यादा तानाशाही या निरंकुशतावादी हो जाएं। उन्होंने कहा, 'आप खतरनाक तत्वों की ओर से उठाए जाने वाले असामाजिक कदमों को रोकने के लिए कानून के शासन के जरिये कैसे समाज की जरूरतों में संतुलन साधते हैं, जहां सरकारें मनमाने तरीके से सत्ता का इस्तेमाल नहीं कर सकतीं? इसी तरह एक निरंकुश राज्य किसी असहमति वाली राय को दबाने की खातिर इंटरनेट की ताकत का इस्तेमाल कर सकती है।' रामकृष्णन ने यह भी कहा कि इंटरनेट पर सूचनाओं के विस्फोट की स्थिति में विश्वसनीय स्रोतों का पता लगाने की जरूरत है।

इंटरनेट तक पहुंच होना अहम
फ्री बेसिक्स और नेट न्यूट्रेलिटी के चर्चित एवं जटिल मुद्दों पर नोबेल पुरस्कार विजेता डेविड ट्रिंबल ने कहा, 'मेरा मानना है कि इंटरनेट तक पहुंच होना अहम है। यह करने की प्राथमिक वजह यह है कि यह अर्थव्यवस्था से जुड़ी चीज है। सेवा प्रदाता तो बाद में आता है।' ट्रिंबल को 1998 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा, 'अगर कोई यह अंदाजा लगा पाए कि अगले कुछ सालों में इंटरनेट कहां होगा, तो वे बड़े खुशकिस्मत होंगे।' सेन ने कहा कि कहीं न कहीं इंटरनेट ने देश में साक्षरों और निरक्षरों के बीच की मौजूदा खाई को और बढ़ा दिया है।

ऑर्थर मैक्डोनाल्ड ने कहा कि भविष्य में इंटरनेट के ढेर सारे तकनीकी पहलू होंगे। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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