नई दिल्ली:
देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक 2-जी स्पेक्ट्रम मामले में एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है, और सीबीआई के अभियोजक और घोटाले के मुख्य अभियुक्तों में से एक - जमीन-जायदाद से जुड़ी कंपनी यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा - के बीच बातचीत का कथित टेप सामने आया है, जिसके बाद सीबीआई ने अपने अभियोजक को निकाल दिया है। उधर, 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने सीबीआई के निदेशक से अभियोजन पक्ष के वकील को हटाए जाने के बारे में जवाबतलब किया है।
समझा जाता है कि सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने समिति से कहा कि जांच एजेंसी के अभियोजक एके सिंह और संजय चंद्रा के बीच बातचीत के कथित टेप की सत्यता अभी साबित होनी है। बताया गया है कि जब सिन्हा 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही जेपीसी के समक्ष पेश हुए, तो विपक्षी सदस्यों ने उनसे एके सिंह को हटाए जाने के बारे में सवाल किए।
उधर, जानकारी मिली है कि सीबीआई के कार्यालय में अज्ञात रूप से पहुंचाई गई इस टेप में रिकॉर्डिड कथित बातचीत में सीबीआई के अभियोजक एके सिंह कानूनी रणनीति को लेकर संजय चंद्रा को सलाह देते सुनाई दे रहे हैं। इस कथित टेप के सामने आने के बाद सीबीआई ने एके सिंह को निकाल दिया है, जबकि संजय चंद्रा ने इन आरोपों का खंडन किया है। सीबीआई ने मामले को लेकर दोनों से सोमवार को पूछताछ की थी।
बातचीत के कथित टेप को लेकर सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने एनडीटीवी को मंगलवार को जानकारी दी कि अभी इस बात का पता नहीं चल पाया है कि यह बातचीत किसने रिकॉर्ड की थी, जो सीबीआई के कार्यालय में अज्ञात रूप से भेजी गई। सीबीआई का कहना है कि इन टेपों की फॉरेन्सिक जांच करवाई जा रही है, लेकिन वह आश्वस्त है कि उसके द्वारा की गई विस्तृत जांच और एकत्र किए गए पुख्ता सबूतों के कारण इस टेप कांड से मामले की सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
उधर, सोमवार रात को जारी किए गए एक बयान में यूनिटेक ने कहा है कि संजय चंद्रा कतई साफ कर देना चाहते हैं कि वह 2-जी मामले के अभियोजक से कभी भी अदालत के बाहर नहीं मिले हैं, और न ही कभी फोन पर उनसे बात की है। चंद्रा इस बात से भी इंकार करते हैं कि टेप में सुनाई दे रही आवाज़ उनकी है। बयान के मुताबिक किसी ने जानबूझकर आवाज़ बनाकर रिकॉर्डिंग की है और सीबीआई को भेजी है। चंद्रा से जुड़ी यह कथित रिकॉर्डिंग उन्हें बदनाम करने और नुकसान पहुंचाने के मकसद से की गई है। चंद्रा ने कहा है कि उन्होंने अपनी बात साफ-साफ सीबीआई के सामने रख दी है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के जरिये गलत तरीके से मोबाइल नेटवर्क लाइसेंस हासिल करने के लिए धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र रचने के आरोपों के तहत संजय चंद्रा अन्य प्रमुख आरोपियों के साथ वर्ष 2011 के दौरान लगभग आठ महीने जेल में बिता चुके हैं।
समझा जाता है कि सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने समिति से कहा कि जांच एजेंसी के अभियोजक एके सिंह और संजय चंद्रा के बीच बातचीत के कथित टेप की सत्यता अभी साबित होनी है। बताया गया है कि जब सिन्हा 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही जेपीसी के समक्ष पेश हुए, तो विपक्षी सदस्यों ने उनसे एके सिंह को हटाए जाने के बारे में सवाल किए।
उधर, जानकारी मिली है कि सीबीआई के कार्यालय में अज्ञात रूप से पहुंचाई गई इस टेप में रिकॉर्डिड कथित बातचीत में सीबीआई के अभियोजक एके सिंह कानूनी रणनीति को लेकर संजय चंद्रा को सलाह देते सुनाई दे रहे हैं। इस कथित टेप के सामने आने के बाद सीबीआई ने एके सिंह को निकाल दिया है, जबकि संजय चंद्रा ने इन आरोपों का खंडन किया है। सीबीआई ने मामले को लेकर दोनों से सोमवार को पूछताछ की थी।
बातचीत के कथित टेप को लेकर सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने एनडीटीवी को मंगलवार को जानकारी दी कि अभी इस बात का पता नहीं चल पाया है कि यह बातचीत किसने रिकॉर्ड की थी, जो सीबीआई के कार्यालय में अज्ञात रूप से भेजी गई। सीबीआई का कहना है कि इन टेपों की फॉरेन्सिक जांच करवाई जा रही है, लेकिन वह आश्वस्त है कि उसके द्वारा की गई विस्तृत जांच और एकत्र किए गए पुख्ता सबूतों के कारण इस टेप कांड से मामले की सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
उधर, सोमवार रात को जारी किए गए एक बयान में यूनिटेक ने कहा है कि संजय चंद्रा कतई साफ कर देना चाहते हैं कि वह 2-जी मामले के अभियोजक से कभी भी अदालत के बाहर नहीं मिले हैं, और न ही कभी फोन पर उनसे बात की है। चंद्रा इस बात से भी इंकार करते हैं कि टेप में सुनाई दे रही आवाज़ उनकी है। बयान के मुताबिक किसी ने जानबूझकर आवाज़ बनाकर रिकॉर्डिंग की है और सीबीआई को भेजी है। चंद्रा से जुड़ी यह कथित रिकॉर्डिंग उन्हें बदनाम करने और नुकसान पहुंचाने के मकसद से की गई है। चंद्रा ने कहा है कि उन्होंने अपनी बात साफ-साफ सीबीआई के सामने रख दी है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के जरिये गलत तरीके से मोबाइल नेटवर्क लाइसेंस हासिल करने के लिए धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र रचने के आरोपों के तहत संजय चंद्रा अन्य प्रमुख आरोपियों के साथ वर्ष 2011 के दौरान लगभग आठ महीने जेल में बिता चुके हैं।
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