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This Article is From Mar 10, 2014

नरेंद्र मोदी के पूर्णिया में दिए गए भाषण के मुख्य अंश

नरेंद्र मोदी के पूर्णिया में दिए गए भाषण के मुख्य अंश
पूर्णिया:

गांधी मैदान में उनकी पिछली रैली से पहले हुए बम धमाकों के संदर्भ में नरेंद्र मोदी ने बिहार की जनता की प्रशंसा करते हुए कहा, "बिहार के लोगों की जवांमर्दी को नमन करता हूं... आप न हिले, न डिगे..."

-कुछ ही दिन में होली का त्योहार आ रहा है... उसके लिए मेरी शुभकामनाएं...
-इस बार के चुनाव में होली की ही तरह आप विकास और प्रगति के रंग देखेंगे...
-पूरे भारत में हम जनता के पास एकता और शांति का संदेश लेकर जाएंगे...
-पुराणों के युग से परिचित इस धरती के युवाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई...
-भोला पासवान, डॉ लक्ष्मीनारायण, वैद्यनाथ चौधरी तथा फणीश्वरनाथ रेणु इस धरती के ऐसे सपूत हैं, जिन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरणा दी है...
-जब भी मैं बिहार आता हूं, यहां के लोगों को नमन करता हूं... जब इतिहास लिखा जाएगा, पटना में 27 अक्टूबर को हुई घटना का ज़िक्र ज़रूर आएगा...
-मैं यहां खूनी राजनीति की बात करने नहीं आया हूं... मैं बिहार के लोगों की जवांमर्दी को नमन करता हूं... आप न हिले, न डिगे... (उनकी पिछली रैली से पहले हुए बम धमाकों के संदर्भ में)
-कुछ ही दिन में होली का त्योहार आ रहा है... उसके लिए मेरी शुभकामनाएं...
-इस बार के चुनाव में होली की ही तरह आप विकास और प्रगति के रंग देखेंगे...
-पूरे भारत में हम जनता के पास एकता और शांति का संदेश लेकर जाएंगे...
-पुराणों के युग से परिचित इस धरती के युवाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई...
-भोला पासवान, डॉ लक्ष्मीनारायण, वैद्यनाथ चौधरी तथा फणीश्वरनाथ रेणु इस धरती के ऐसे सपूत हैं, जिन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरणा दी है...
-जब भी मैं बिहार आता हूं, यहां के लोगों को नमन करता हूं... जब इतिहास लिखा जाएगा, पटना में 27 अक्टूबर को हुई घटना का ज़िक्र ज़रूर आएगा...
-मैं यहां खूनी राजनीति की बात करने नहीं आया हूं... मैं बिहार के लोगों की जवांमर्दी को नमन करता हूं... आप न हिले, न डिगे... (उनकी पिछली रैली से पहले हुए बम धमाकों के संदर्भ में)
-मीडिया मे तीसरे मोर्चे की बात हो रही है... इस तीसरे मोर्चे ने हमेशा कांग्रेस को बचाया है...
-तीसरे मोर्चे में सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री या प्रधानमंत्री बनने के इच्छुक लोग ही शामिल हैं... तीसरे मोर्चे में शामिल लोगों में से 12 प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं...
-तीसरे मोर्चे की नींद लोकसभा चुनाव के वक्त ही टूटती है, और उसके बाद वे फिर सो जाते हैं...
-मैं आप लोगों से पूछता हूं, बिहार में बाढ़ के वक्त कहां थे तीसरे मोर्चे वाले...? जब कोसी में बाढ़ आई थी, क्या तीसरे मोर्चे ने सहानुभूति जताई थी, क्या तीसरे मोर्चे ने मदद की थी...?
-मैं तीसरे मोर्चे से पूछना चाहता हूं, कहां थे वे, जब भुज में भूकंप आया था, या असम में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए थे...?
-बिहार सरकार से हमारा गठबंधन क्यों टूटा...? क्या कारण था...? कुछ का कहना है इसके पीछे अहं था, जबकि कुछ के मुताबिक वे पीठ में छुरा घोंपने वाले हैं... आज जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया को तकलीफ हो रही होगी... लेकिन मैं जानता हूं, नीतीश कुमार ने गठबंधन क्यों तोड़ा... दरअसल, प्रधानमंत्री बनने के सपने ने उनकी नींद उड़ा रखी है...
-वह (नीतीश कुमार) खुद को बहुत योग्य समझते हैं... उन्हें लगता है, वह ज़्यादा काबिल है...
-दूसरी तरफ, बीजेपी के नेतृत्व में हर गठबंधन कामयाब रहा है... बीजेपी के गठबंधनों को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा... सबको साथ लेकर चलना हमारे संस्कारों में है...
-हमारा उद्देश्य सिर्फ सत्ता में बने रहना नहीं है...
-हम अस्पताल में पड़ी रहकर ऑक्सीजन पर जी रही सरकार से छुटकारा पाना चाहते हैं...
-कुछ लोगों में अहं ज़्यादा होता है... आप उनके बारे में कुछ भी कह दीजिए, उन्हें तब तक नींद नहीं आएगी, जब तक वह ज़हर नहीं बो देंगे...
-बिहार के लोगों ने जंगलराज से मुक्ति पाना चाहा था (कामयाब रहे), अब पूरा देश ही जंगलराज की चपेट में है... बिहार के मेरे दोस्तों को ही इस जंगलराज से छुटकारा पाने के लिए नेतृत्व करना होगा...
-बिहार में 1900 ऐसे स्कूल हैं, जो सिर्फ कागज़ों में हैं, और इस तरह के 'कागज़ी स्कूल' बिहार के बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर रहे हैं... ऐसे 90 स्कूल सिर्फ पटना में ही हैं... अगर बजट खर्च किया जा रहा है, तो स्कूल दिखाई देने चाहिए...

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