दिल्ली की बागडोर संभालने की दौड़ में आम आदमी पार्टी बेशक सबसे आगे दिख रही हो, लेकिन पार्टी 7 फरवरी के विधानसभा चुनाव से पहले 30 करोड़ रुपये इकट्ठा करने के अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकी। 'आप' की झोली में लगभग 18 करोड़ रुपये आए हैं।
'फंडरेजर डिनर्स', 'कॉफी विद केजरीवाल' और 'सेल्फी विद मफलरमैन' जैसी कई अभिनव पहल किए जाने के बावजूद वह चुनाव से पहले 30 करोड़ रुपये इकट्ठा करने के अपने लक्ष्य से पीछे रह गई।
हालांकि, पार्टी ने इसे सकारात्मक प्रगति के रूप में लिया है और इसके लिए अपने चंदा दाताओं पर दोष मढ़ने से मना कर दिया है। 'आप' के फंड संग्रह प्रभारी अरविंद झा ने बताया, मतदान दिवस तक हमारा लक्ष्य 30 करोड़ रुपये इकट्ठा करने का था, लेकिन हम इसे पाने में असफल रहे। हालांकि यह भी सही है कि जो कुछ भी हमने किया है, वह केवल दो महीनों में किया है। वर्ष 2013 के चुनाव में पार्टी को लोगों से कहना पड़ा था कि चंदे के रूप में पैसा देना बंद करें, क्योंकि उनके पास काफी ज्यादा चंदा इकट्ठा हो गया था।
विस्तार से बताते हुए झा ने कहा, किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि हमने नवंबर अंत में चंदा लेना शुरू किया था और चंदा इकट्ठा करने के लिए हमें वर्ष 2013 में मिले समय से यह बहुत ही कम था। उन्होंने कहा कि डाटा बताते हैं कि पार्टी को चंदे के रूप में छोटी-छोटी रकम देने वाले दाताओं की संख्या और अधिक बढ़ी हैं, जो कि देश एवं विदेश दोनों में पार्टी के बढ़ते हुए जनाधार का प्रतीक है।
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