
CBSE's Twice-Yearly Board Exam: भारत की शिक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत होने जा रही है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह घोषणा की है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) वर्ष 2026 से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित करेगा. यह स्टेप राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत उठाया गया है, जिसका उद्देश्य छात्रों के लिए तनावमुक्त और फ्लैक्सिबल शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना है.केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनडीटीवी एजुकेशन कॉन्क्लेव 2025 (NDTV Education Conclave) में इस महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि यह कदम छात्रों के बीच परीक्षा से संबंधित तनाव को कम करने के लिए उठाया गया है. "छात्रों से मिले फीडबैक से पता चलता है कि वे इस निर्णय से खुश हैं. यह प्रणाली जेईई मेन की तर्ज पर होगी, जहां छात्रों को दो बार परीक्षा देने का मौका मिलेगा और वे अपने बेहतर स्कोर को चुन सकेंगे."
इस नई व्यवस्था के तहत, छात्रों को एक ही हाई-स्टेक्स परीक्षा के दबाव से मुक्ति मिलेगी. इससे वे अपनी तैयारी को बेहतर करने और आत्मविश्वास के साथ परीक्षा देने में सक्षम होंगे. यह स्टेप न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी राहत की बात है, क्योंकि यह शिक्षा को अधिक समावेशी और लचीला बनाएगा.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने के पीछे का मकसद शिक्षा को छात्र-केंद्रित और भविष्योन्मुखी बनाना है. शिक्षा मंत्री ने इस नीति को एक क्रांतिकारी ढांचे के रूप में प्रस्तुत किया, जो परंपरागत मूल्यों को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ता है.धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "लगभग 30 करोड़ छात्र, जो 5 से 23 वर्ष की आयु के बीच हैं, भारत की शिक्षा सुधारों के केंद्र में हैं. एनईपी परंपरा और नवाचार के बीच संतुलन बनाते हुए छात्रों को भविष्य के लिए तैयार कर रही है."
एनईपी 2020 के तहत, शिक्षा प्रणाली में तकनीक का उपयोग बढ़ाने, समावेशिता को प्रोत्साहन देने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिया गया है. दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का निर्णय भी इसी नीति का हिस्सा है, जो छात्रों को उनकी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करता है.
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तनावमुक्त शिक्षा का लक्ष्य
पारंपरिक रूप से, बोर्ड परीक्षाएं भारतीय छात्रों के लिए तनाव का एक प्रमुख स्रोत रही हैं. एकल परीक्षा पर आधारित मूल्यांकन प्रणाली अक्सर छात्रों पर अनावश्यक दबाव डालती है. नई प्रणाली के तहत, छात्रों को अपनी गलतियों से सीखने और बेहतर प्रदर्शन करने का दूसरा मौका मिलेगा. यह न केवल उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों को बढ़ाएगा, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा. शिक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह सुधार एक संतुलित मूल्यांकन प्रणाली की दिशा में एक बड़ा कदम है. "हमारा लक्ष्य एक ऐसी शिक्षा प्रणाली बनाना है, जो छात्रों को तनावमुक्त माहौल में सीखने का अवसर दे. यह पहल न केवल शैक्षणिक दबाव को कम करेगी, बल्कि छात्रों को आत्मविश्वास और रचनात्मकता के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी."
शिक्षा क्षेत्र में प्रगति
एनडीटीवी एजुकेशन कॉन्क्लेव में बोलते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि मोदी 3.0 के पहले वर्ष में शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. बुनियादी ढांचे के विकास, समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने और आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है. उन्होंने कहा, "शिक्षा हमेशा से भारत के युवाओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण रही है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारी शिक्षा प्रणाली वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो और साथ ही हमारी सांस्कृतिक जड़ों को भी मजबूत करे."
छात्रों को पूरी क्षमता का उपयोग
दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का निर्णय केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी सोच को दर्शाता है जो शिक्षा को अधिक मानवीय और छात्र-केंद्रित बनाना चाहती है. यह कदम न केवल छात्रों को उनकी पूरी क्षमता का उपयोग करने का अवसर देगा, बल्कि शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों को भी नई शिक्षण पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा.
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