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बचपन के 'टॉपर्स' लाइफ के 'बैकबेंचर'! ये बच्चे हासिल करते हैं बड़ा मुकाम; रिसर्च में बड़ा खुलासा

नई रिसर्च बताती है कि बचपन के टॉपर आगे चलकर हमेशा सफल नहीं होते. अध्ययन के अनुसार, शुरुआती सफलता भविष्य की गारंटी नहीं है. जानें क्यों ज्यादातर औसत बच्चे जीवन में बड़ी कामयाबी हासिल करते हैं, 10 हजार घंटे की थ्योरी पर उठे सवाल और कम उम्र में दबाव डालने के नुकसान.

बचपन के 'टॉपर्स' लाइफ के 'बैकबेंचर'! ये बच्चे हासिल करते हैं बड़ा मुकाम; रिसर्च में बड़ा खुलासा

New Research on Child Prodigies: हम अक्सर मानते हैं कि बचपन में पढ़ाई, खेल या कला में टॉपर रहने वाले बच्चे ही आगे चलकर बड़ी सफलता हासिल करते हैं. लेकिन हाल ही में आई एक रिसर्च ने इस सोच को गलत साबित कर दिया है. अध्ययन के मुताबिक, बचपन में अव्वल रहने वाले बच्चों में से केवल 10% ही बड़े होकर अपने क्षेत्र में वर्ल्ड-क्लास परफॉर्मर बन पाते हैं. यानी शुरुआती सफलता भविष्य की गारंटी नहीं है.

रिसर्च में क्या सामने आया?

कैसरस्लाउटरन-लैंडौ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 34,000 से ज्यादा वर्ल्ड-क्लास परफॉर्मर्स के डेटा का विश्लेषण किया. इसमें नोबेल विजेता, ओलंपिक मेडलिस्ट, शतरंज के ग्रैंडमास्टर और मशहूर संगीतकार शामिल थे. नतीजा यह निकला कि बचपन में सबसे अच्छे और जीवन के बाद के चरण में सबसे अच्छे लोग ज्यादातर अलग-अलग होते हैं.

धीरे-धीरे बढ़ने वाले ज्यादा सफल

स्टडी में पाया गया कि जो लोग आगे चलकर शीर्ष पर पहुंचे, उन्होंने बचपन में धीरे-धीरे प्रगति की. वे अपने शुरुआती वर्षों में अपने आयु वर्ग के सर्वश्रेष्ठ नहीं थे. इसके अलावा, जिन्होंने बाद में बड़ी सफलता पाई, उन्होंने कम उम्र में किसी एक क्षेत्र में विशेषज्ञता नहीं ली, बल्कि विकल्प खुले रखे.

इतिहास के उदाहरण

यह पैटर्न समझाता है कि क्यों कई महान लोग स्कूल में औसत थे. अल्बर्ट आइंस्टीन, स्टीव जॉब्स, जेके राउलिंग, माइकल जॉर्डन और वॉल्ट डिज्नी बचपन में टॉपर नहीं थे, लेकिन बाद में दुनिया के सबसे बड़े नाम बने. आइंस्टीन को बचपन में बोलने में देरी होती थी और उन्हें कम बुद्धिमान माना जाता था, लेकिन आगे चलकर वे ‘Father of Relativity' बने.

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10 हजार घंटे की थ्योरी पर सवाल

यह रिसर्च उस मशहूर “10,000 घंटे की प्रैक्टिस” थ्योरी को भी चुनौती देती है. लंबे समय तक लगातार प्रैक्टिस जरूरी है, लेकिन जल्दी शुरुआत करना सफलता की गारंटी नहीं है. कई माता-पिता इसी सोच के कारण बच्चों पर दबाव डालते हैं, जो नुकसानदायक हो सकता है.

कम उम्र में दबाव क्यों खतरनाक?

स्टडी बताती है कि बचपन में एक ही चीज पर ज्यादा फोकस करने से मानसिक तनाव बढ़ता है. जूनियर एथलीट्स शुरुआत में अच्छा करते हैं, लेकिन बाद में उनकी प्रगति रुक जाती है या वे बर्नआउट का शिकार हो जाते हैं. लंबे समय तक सफलता के लिए विविधता, संतुलन और बच्चों की रुचि का सम्मान जरूरी है.

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