करियर गाइड: यूं जीते अपने कलिग का दिल, पढ़ें ये 5 टिप्स

करियर गाइड: यूं जीते अपने कलिग का दिल, पढ़ें ये 5 टिप्स

ऑफिस में आप कितने खुश हैं, ये इस बात पर भी काफी निर्भर करता है कि आपके सहकर्मियों से कैसे रिश्ते हैं. हालांकि उनसे कंपीटिशन रहता है लेकिन उनका साथ भी काफी जरूरी है. बहुत बार आप कलिग के साथ अपने परिवार से भी ज्यादा समय बिताते हैं.  यही नहीं बल्कि आपके इंक्रीमेंट या अप्रेजल के टाइम पर भी देखा-पूछा जाता है कि सहकर्मियों से आपके रिश्ते कैसे हैं? ऐसे में कलिग से पर्सनल नहीं तो अच्छी पॉजिटिव वर्किंग रिलेशनशिप कायम करना बेहद जरूरी है. तो यहां जानिए कैसे आप अपने कलिग से एक अच्छा रिश्ता कायम कर सकते हैं - 

अपने कलिग को सुनें और उसे जानें
अपने कलिग को समझने की कोशिश करें. उसके साथ ऑफिस परिसर के बाहर चाय-कॉफी पीने जा सकते हैं. इस तरह उसके साथ इंटर्नल नेटवर्क विकसित करें. इसके अलावा अपने आइडियाज़ थोपने की बजाय कलिग के सुझावों को भी सुनें. कंपीटिशन के माहौल के बजाय टीम वर्क में कार्य करें. 

दोस्ताना रिश्ता बनाएं 
फ्रेंडली रहे. कई बार वर्क प्रेशर में हम कलिग के साथ मुस्कुराना बंद भूल जाते हैं. इससे गलत संदेश जाता है. अपने कलिग्स के नाम याद रखें और उनसे रोजाना गुड मोर्निंग, गुड ईवनिंग या बाय कहना न भूलें. प्रमोशन होने पर उन्हें बधाई जरूर दें. 

अगर दिक्कत है, उसकी अनदेखी न करें 
बहुत बार किसी इश्यू पर कलिग से मतभेद हो जाते हैं या आप उन्हें समझ नहीं पाते हैं. ऐसी स्थिति में आपको चाहिए कि आप डटकर काम करते रहें. अगर बार-बार विवाद हो रहा है तो आप उनसे अकेले में पूछ सकते हैं कि इस समस्या को हल करने में आप क्या कर सकते हैं? समस्या पर विचार-विमर्श कर उसे हल करें न कि उसकी अनदेखी करें. 

मदद करने पर आभार जताएं और हेल्प ऑफर भी करें 
हालांकि आपकी मदद करना उनकी जॉब है लेकिन फिर भी इसके लिए उन्हें धन्यवाद कहना न भूलें. इसके अलावा आप अपनी तरफ से हेल्प ऑफर करके उनसे अपने पर्सनल रिश्ते मजबूत कर सकते है. ध्यान रहे हेल्प करने का प्रस्ताव इस तरह से न दें कि आपके ऑफर को पूरी टीम सुनें और लगे कि आप एक्स्ट्रा वर्क करके अपने नंबर बढ़ाना चाहते हैं. 

अपनी आलोचना को भी सुनें और नेगेटिव गॉसिप से दूर रहें 
हो सकता है कि आपका कलिग आपका सीनियर भी हो. और अगर उसे किसी प्रोजेक्ट पर आपका काम नहीं पसंद आता है और वह आपके काम की आलोचना करता है तो उसे दिल पर न लें. प्रोफेश्नल रहें और अपनी आलोचना को स्वीकार करें. हमेशा सीखने के लिए तैयार रहें. फीडबैक को पर्सनल अटैक के तौर पर न लें. 


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