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This Article is From Jul 20, 2018

Neet 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मदुरै बेंच के फैसले पर लगाई रोक, कहा- हाईकोर्ट इस तरह ग्रेस अंक नहीं दे सकता

Neet 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ किया कि हाईकोर्ट इस तरह ग्रेस अंक नहीं दे सकता क्‍योंकि इससे दूसरे स्‍टूडेंट्स को नुकसान होगा.

Neet 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मदुरै बेंच के फैसले पर लगाई रोक, कहा- हाईकोर्ट इस तरह ग्रेस अंक नहीं दे सकता
नीट 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के फैसले पर रोक लगा दी है
नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने तमिल भाषा में नीट (Neet 2018) की परीक्षा देने वाले स्‍टूडेंट्स को 196 नंबर के ग्रेस मार्क्‍स देने के मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ किया कि हाईकोर्ट इस तरह ग्रेस अंक नहीं दे सकता क्‍योंकि इससे दूसरे स्‍टूडेंट्स को नुकसान होगा. न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने CBSE की याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के साथ ही नोटिस जारी किया.

नीट के रिजल्‍ट पर अगले आदेश तक रोक

पीठ ने इस मामले में पक्षकारों से कहा कि वे इस स्थिति से निबटने के सुझाव दें. पीठ ने कहा , 'हम इस तरह से अंक नहीं दे सकते हैं.' पीठ ने टिप्पणी की कि ऐसा लगता है कि इस फैसले के बाद तमिल भाषा में परीक्षा देने वाले स्‍टूडेंट दूसरे स्‍टूडेंट्स की तुलना में फायदे में हैं. 

गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने 10 जुलाई को CBSE को आदेश दिया था कि वो नीट 2018 (NEET 2018) की परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स को 196 ग्रेस मार्क्स देने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने पेपर में पूछे गए सवालों के गलत अनुवाद पर ये फैसला सुनाया था. पेपर में गलत सवालों के पूछ जाने पर स्टूडेंट्स ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शिकायत की थी. 

तमिल भाषा में नीट का पेपर करीब 24,500 स्टूडेंट्स  ने दिया था. ये पेपर 720 अंकों का था. आपको बता दें कि याचिकाकर्ता और माकपा के राज्यसभा सांसद टी. के. रंगराजन ने दावा किया था कि नीट के पेपर में 49 सवालों का तमिल अनुवाद गलत किया गया है.

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